नयी दिल्ली, 25 दिसम्बर (वार्ता)
मोक्षदायिनी गंगा भले ही अब तक निर्मल और अविरल न बन पायी हो लेकिन इस साल मोदी सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत इसमें न्यूनतम प्रवाह बनाये रखने की अधिसूचना जारी की और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की भी पहचान कर ली है। मंत्रालय ने ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत सभी परियोजनाओं के निर्माण कार्यों को मंजूरी प्रदान कर दी है और उन पर काम शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी का दावा है कि इस साल के बाद ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत इसकी सफाई से जुड़ी किसी परियोजना को मंजूरी देना शेष नहीं रह जाएगा।
उनका यह भी दावा है कि गंगा नदी अगले मार्च तक 80 फीसदी और मार्च 2020 तक सौ फीसदी स्वच्छ हो जाएगी। श्री गडकरी का कहना है कि इस साल उन्होंने गंगा सफाई के लिए गंगा तट पर बसे गांवों को इसमें सक्रिय होकर भागीदार बनाने की जो मुहीम शुरू की उससे गंगा को निर्मल बनाने की दिशा में ग्रामीणों की अहम भूमिका होगी।
इस दिशा में सबसे पहले इन गांवों को गंगा तट पर शौच जाने से रोकने के लिए पहल की गयी और इस योजना के तहत गंगा तट पर बसे करीब 4500 गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया। सरकार ने इस साल गंगा की सफाई के लिए जो महत्वपूर्ण कदम उठाए है उनमें गंगा में न्यूनतम प्रवाह बनाने के लिए अधिसूचना जारी करना और इसकी सफाई के लिए ‘वन ऑपरेटर वन सिटी’योजना को क्रियान्वित करना है। निर्मल और अविरल गंगा के लिए 254 परियोजनाओं को इस दौरान मंजूरी दी गयी और पर्यावरण के अनुकूल न्यूनतम जल प्रवाह सुनिश्चित बनाने पर बल दिया गया।
गंगा में जल का प्रवाह सुनिश्चित करने से दो निशानों को एक साथ साधने का प्रयास किया गया है। इससे एक तरफ जहां गंगा में निरंतर न्यूनतम जरूरी जल प्रवाह बना रहेगा वहीं जल मार्गों का विकास कर परिवहन की जो नयी पहल गंगा के जरिये की गयी उसको सुचारु रूप रूप से संचालित किया जा सकेगा। इसके तहत वाराणसी से हल्दिया तक जल मार्ग से माल ढुलाई का काम शुरू किया गया है। इसमें ज्यादा रोचक यह है कि अगले माह शुरू हो रहे अर्द्धकुंभ में श्रद्धालुओं को वाराणसी से प्रयागराज तक जल मार्ग से लाने की योजना है।
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