फेफड़ों में भर गया था गंदा पानी
अमृतसर. हावड़ा मेल के टॉयलेट में मिले नवजात की जीएनडीएच में निमोनिया के कारण 30 घंटे बाद रविवार रात करीब 10 बजे मौत हो गई। नवजात का जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल से गुरु नानक देव अस्पताल के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर में लाकर इलाज शुरू किया गया था। डॉक्टरों की टीम बच्चे की ट्रीटमेंट में जुटी हुई थी। रेलवे ने भी उसकी देखरेख के लिए 9 मुलाजिमों की ड्यूटी लगाई थी। बच्चे को देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहा।
लोग दिनभर उसकी सेहत के लिए दुआएं करते रहे लेेकिन रविवार रात मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा करीब 12 घंटे तक फ्लश में फंसा रहा नतीजतन ऊपर से जाने वाली गंदगी और पानी उसके नाक और मुंह के जरिए फेफड़ों तक में पहुंच चुका थी। इसके कारण वह निमोनिया का भी शिकार हो चुका था।
फिलहाल फेफड़ों की गंदगी पाइप से निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन बीच इलाज में ही उसने दम तोड़ दिया। जिन सफाई मुलाजिमों ने बच्चे को अस्पताल पहुंचाया है उनकी तरफ से लगातार 4-5 लोग रात-दिन बच्चे के पास मौजूद रहे। रेलवे के चाइल्ड हेल्प डेस्क की टीम भी उसके साथ रही। वहीं घटना वाले दिन से ही बच्चे की तीमारदारी में लगी नजीरा कहती हैं कि उन्होंने जिंदगी में पहली ऐसी घटना देखी। साबी के मुताबिक उन्होंने अपने मुलाजिमों को इसकी देख-रेख के लिए स्थायी रूप से लगा दिया था।
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