‘जय जवान-जय किसान’ के नारे को बुलंद कर रहा फौजी परिवार
सच कहूँ/बिन्टू सिंह नरवाना। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। क्योंकि इन (Husband Serving The Army And Wife Handling Farming) दोनों के बिना ही देश विकास के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता। देश का जवान सीमा पर दुश्मनों से लड़कर भारत की रक्षा करता है वहीं देश का किसान धरती मां की कोख से अन्न पैदा कर लोगों का पेट भरता है।
इसी नारे को आज भी बुलंद कर रहा है नरवाना के गांव बेलरखां का फौजी परिवार। जहां पति सतीश फौज में बतौर सूबेदार देश की सेवा (Husband Serving The Army And Wife Handling Farming) कर रहा है वहीं पत्नी सुमन घूंघट प्रथा छोड़ खेत में कड़ी मेहनत कर अन्न पैदा कर रही। सुमन को खेत में ट्रैक्टर चलाते देख अब गांव की अन्य महिलाएं भी खेतों में अपने पति के साथ हाथ बंटाने में जुट गई हैं। इतना ही नहीं खेत में सुमन के साथ सास धूंदी भी खेती कार्य में मद्द करती है।
बेटियों गर्भ को मरवाने वालों के मुहं पर तमाचा
17 साल पहले हिसार की बेटी सुमन की शादी बेलरखां गांव निवासी सतीश के साथ हुई थी। इस समय सतीश फौज में सुबेदार (Husband Serving The Army And Wife Handling Farming) जेसीओ के पद पर तैनात है। परिवार की स्थिति को भांपकर सुमन ने स्वयं खेती करने का फैसला लिया और ट्रैक्टर चलाना सीखा। अब सुमन ट्रैक्टर सीखकर स्वयं खेती कर रही है यही नहीं सुमन खेती के साथ-साथ चार दुधारू मुर्राह नस्ल की भैंसें भी रखे हैं। सुमन ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है और उन लोगों के मुंह पर एक तमाचे के समान है जो बेटे की चाहत में बेटियों को गर्भ में ही मार देते हंै।
पिता ने सिखाया, मेहनत करके खाना
सच कहूँ सवांददाता से बातचीत में सुमन ने कहा कि उसके पिता भी एक थानेदार थे और उन्होंने हमेशा मेहनत करके खाना सिखाया है। सुमन ने कहा कि उसे अपने आप पर गर्व है कि वह एक फौजी की पत्नी है। सुमन ने कहा कि वह ट्रैक्टर चलाकर परिवार के कामों में सहयोग करती है और एक नारी का भी फर्ज बनता है कि अगर उसका पति देश की सेवा कर रहा है तो पूरे परिवार का पालन-पोषण उसकी जिम्मेवारी है।
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