नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई ने प्रस्तावित किया है कि (April new interest rates of home loans and auto loans.) अगले साल एक अप्रैल से पर्सनल, होम, ऑटो और सूक्ष्म एवं छोटे उद्यमों (एमएसई) के कर्जों पर फ्लोटिंग ब्याज दरें रेपो दर या ट्रेजरी यील्ड जैसे बाहरी मानकों से जोड़ी जाएंगी। गौरतलब है कि आरबीआई ने बीते दिन हुई अपनी समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखा है।जानकारी के लिए आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने एमसीएलआर प्रणाली की समीक्षा के लिए एक आंतरिक अध्ययन समूह का गठन किया था और इसी समूह ने फ्लोटिंग ब्याज दरों को बाह्य मानकों से जोड़ने का सुझाव दिया है।
अंतिम दिशानिर्देश को इस महीने के अंत में जारी किया जाएगा
वर्तमान समय में बैंक अपने कर्ज पर दरों को प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट तथा अपने कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) जैसे आंतरिक मानकों के आधार पर तय करते हैं। केंद्रीय बैंक के ‘विकासात्मक और नियामकीय नीतियों पर बयान’ में कहा गया है कि बाहरी मानकों से ब्याज दर को जोड़े जाने को लेकर अंतिम दिशानिर्देश को इस महीने के अंत में जारी किया जाएगा।
आरबीआई की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, “यह प्रस्तावित किया जाता है कि पर्सनल या होम एवं ऑटो लोन तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए सभी नई फ्लोटिंग ब्याज दरें एक अप्रैल से (रिजर्व बैंक की ओर से तय) रेपो दर या 91/182 (91 दिन/182 दिन) के ट्रेजरी बिल (सरकारी बॉण्डों) पर यील्ड (निवेश-प्रतिफल) या फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) की ओर से तय की जाने वाली किसी अन्य मानक बाजार ब्याज दर से संबद्ध होंगी।”
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