कोर्ट में बच्ची ने कहा, मम्मी घर चलो, साथ ही रहेंगे

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बच्ची की कस्टडी को लेकर हुई सुनवाई

भोपाल (एजेंसी)। कुटुम्ब न्यायालय, दोपहर के 1.45 बजे हैं। 7 साल की मासूम, उसके माता-पिता और पक्षकारों से भरा कोर्ट रूम। डायस पर जज भावना साधौ। मामला था, बच्ची की कस्टडी का। अदालत को तय करना था कि वो मां के पास रहेगी या पिता के पास। दरअसल, अब तक मासूम अपने पिता के साथ रहती थी और मां भोपाल में अलग रहती हैं।सुनवाई शुरू हुई। जज भावना साधौ ने बच्ची से पूछा कि तुम किसके साथ रहना चाहती हो? बच्ची ने कहा- पापा के पास रहती हूं। इसी दाैरान बच्ची की नजर कोर्ट में खड़ी अपनी मम्मी पर पड़ी तो उसने कहा- मम्मी, आप हमारे साथ घर चलो, हम साथ-साथ रहेंगे। सब ठीक हो जाएगा। बच्ची की ये बातें सुनकर मां की आंखों में आंसू आ गए।

कोर्ट रूम में इस दौरान सभी भावुक हो गए

कोर्ट रूम में इस दौरान सभी भावुक हो गए। जज भावना साधौ ने बच्ची के सिर पर हाथ फेरा और उसे अपनी मम्मी के पास जाने को कहा। बच्ची डॉयस से नीचे आई और अपनी मां से लिपट गई। यह देख अन्य पक्षकारों की आंखों में आंसू आ गए। इसके बाद जज ने बच्ची के माता- पिता को समझाया। उन्हेंं बच्ची का वास्ता देकर मनमुटाव खत्म कर साथ रहने की सलाह दी। इस बीच पति-पत्नी में थोड़ी बहुत तकरार हुई लेकिन आखिरकार दोनों साथ रहने के लिए राजी हो गए।

  • भोपाल में रहने वाली सोनाली (परिवर्तित नाम) की शादी सुरेश (परिवर्तित नाम) से 10 साल पहले हुई थी।
  • दो साल बाद बेटी का जन्म हुआ। सोनाली का आरोप था कि ससुराल वाले उसे बेवजह परेशान करते हैं।
  • ससुराल वालों ने कुछ कागजों पर साइन करवाकर उसे घर से निकाल दिया था।
  • ससुराल वालों ने बेटी को अपने पास ही रख लिया।
  • सोनाली ने अपनी बेटी से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन पति और ससुराल वालों ने उससे मिलने नहीं दिया।
  • इसके बाद सोनाली ने राजधानी की कोर्ट में पति के खिलाफ भरण पोषण के लिए एक दावा लगाया था।

बेटी की कस्टडी को लेकर इसी साल मामला किया था पेश

सोनाली ने इसी साल कुटुम्ब न्यायालय में बेटी को अपने साथ रखने के लिए धारा 12 संरक्षक एवं प्रतिपाल्य अधिनियम के तहत मामला पेश किया था। अदालत में पेश मामले में सोनाली ने अपने पति पर आरोप लगाते हुए गुहार लगाई कि बच्ची का ध्यान रखने वाला कोई नहीं है। इसलिए बच्ची की सही देखभाल के लिए उसे उसकी कस्टडी दी जाए। लेकिन बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान बच्ची के भावुक शब्दों और जज की समझाइश से एक टूटा हुआ घर फिर से बस गया।