विभाजन के दौरान पाकिस्तान ने करतारपुर कोरीडोर को बंद कर दिया था और अब भारत भय और आशा की मिलीजुली भावनाओं के साथ इस कोरीडोर को खोलने की दिशा में कदम उठाया। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक में मानगांव से पाकिस्तान से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक 6 किमी लंबे करतारपुर साहिब कोरीडोर की आधारशिला रखी। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी अैर हरसिमरत कौर भी उपस्थित थे। इस समारोह में केन्द्र की राजग सरकार और पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भाग लिया और दोनों पक्षों ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया।
इस कोरीडोर का निर्माण मुख्यतया सिख तीर्थ यात्रियों के लिए किया जा रहा है और यह ऐसे समय में किया जा रहा है जब भारत और पाकिस्तान के बीच अविश्वास बढ़ रहा है क्योंकि इससे पूर्व दो माह पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द कर दी गई थी। किंतु अब भारत और पाकिस्तान दोनों ने गुरदसपुर जिले के डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के करतारपुर साहिब के बीच इस कोरीडोर को खोलने की योजना बनाई। इस निर्णय से भारत के सिख तीर्थ यात्री पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर गुरूद्वारा दरबार साहिब में दर्शन के लिए जा पाएंगे जहां पर गुरू नानक जी ने 18 वर्ष गुजारे थे।
इस कोरीडोर के निर्माण से इस गुरूद्वारे में जाने की दूरी मात्र 6 किमी रह जाएगी जबकि अभी तक तीर्थ यात्रियों को 200 किमी की यात्रा करनी पड़ती थी। यह दोनों देशों के सिख समुदायों के लिए एक वरदान है जो गुरू नानक देव की 550वीं जन्म शती के अवसर पर ननकाना साहिब भी जा पाएंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान की ओर से 4 किमी लंबे इस कोरीडोर की आधारशिला 28 नवंबर को रखी। पाकिस्तान ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब के मुख्यमंत्री को भी इस अवसर पर न्यौता दिया था किंतु वे वहां नहीं जा पाए। पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान का न्यौता स्वीकार किया और इस समारोह में भाग लिया।
आजकल कुछ नीतियों के मामले में भी दोहरी सोच अपनाई जा रही है। एक शासकीय सोच जिसकी घोषणा भारत सरकार द्वारा की जाती है और दूसरी व्यक्तिगत मित्रता के आधार पर आगे बढ़ाई गई सोच। यही स्थिति श्रीलंका के प्रति नीति, बंगलादेश के साथ जल बंटवारे और अवैध अप्रवासियों की समस्या और अब पाकिस्तान का न्यौता स्वीकार करने के मामले में अपनाई गई है। इस मामले में अमरिन्दर सिंह ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को पत्र लिखकर इस न्यौते को अस्वीकार करने का कारण पाक सेना और पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा भारतीय सैनिकों पर बढ़ते हमले और पंजाब में आईएसआई की गतिविधियां बताया।
इस कोरीडोर की आधारशिला को रखने के अवसर पर उन्होंने भारत में आतंकवाद का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान की कड़ी निंदा की। श्री गुरू नानक जी के 550वें जन्म दिन के समारोह मे भाग लेने के लिए 3800 तीर्थ यात्रियों को वीजा दिया गया है। इसके लिए सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करना होगा कि कहीं तीर्थ यात्रियों की आड में आतंकवादी घुसपैठ न करें। किंतु जोखिम लेना राजनीति का हिस्सा है। यदि यह परियोजना तीर्थ यात्रियों को सुविधा देने के दृष्टि से शुरू की गयी है तो यह एक अच्छी शुरूआत है। इससे दोनों देशों की जनता के बीच मैत्री बढ़ेगी और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस बार पाकिस्तान ने भी अपनी ओर से कदम उठाया है। इस परियोजना के पूरी होने पर तीर्थ यात्रियों को करतारपुर साहिब जाने के लिए वीजा मुक्त प्रवेश दिया जाएगा। पाकिस्तान में ननकाना साहिब, गुरूद्वारा सच्चा सौदा, पंजा साहिब जैसे कई महत्वपूर्ण गुरूद्वारे हैं। इसी तरह भारत में मुसलमानों के लिए कई प्रसिद्ध मस्जिदें हैं। इतिहास बताता है कि विश्व के विभिन्न देशों में प्राचीन समय से ऐसे कोरीडोरों का निर्माण होता रहा है तथा युद्ध और शांति दोनों समय उनका प्रयोग किया जाता रहा है। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक कोरीडोरों का निर्माण किया जाता है। ऐसे कोरीडोरों का निर्माण देश के भीतर और विभिन्न देशों के बीच भी किया जाता है। राजमार्ग निर्माण, रेल लाइन बिछाने, पत्तन अदि परियोजनाओं के मामले में इस प्रकार के कोरीडोर बनाए जाते रहे हैं।
कोरीडोर शब्द का प्रयोग 1998 में एशियाई विकास बैंक द्वारा किया गया था जिसने मध्य और मध्य पूर्व एशिया में आर्थिक कोरीडोर के विकास का सुझाव दिया था। 1990 के दशक में विनिर्माण केन्द्रों, उत्पादन स्थलों और बाजार को जोड़ने वाले कोरीडोरों का निर्माण किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने आशा व्यक्त की है कि बर्लिन दीवार के गिरने की तरह करतारपुर कोरीडोर के निर्माण से दोनो देशों के बीच शांति और सौहार्द बढेÞगा।
भारत-पाकिस्तान वार्ता में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। 1947 में विभजन के कारण दोनों देशों के बीच संचार और जनता के बीच संपर्क प्रभावित हुआ। दोनों देशों के बीच अनेक परिवहन सेवाएं बंद हुई और भारत और पाकिस्तान के बीच दो युद्धों के बाद अधिकतर परिवहन संपर्क बंद हुए। दोनो देशों के बीच एकमात्र रेल सेवा समझौता एक्सप्रेस 1976 में शुरू की गयी जो भारत में अटारी से लेकर पाकिस्तान में लाहौर तक थी। सप्ताह में दो बार चलने वाली इस रेल सेवा को इंदिरा गांधी और भुटृटो के बीच संपन्न समझौते के बाद शुरू किया गया। किंतु यह सीधी रेल सेवा नहीं थी। यात्रियों को सीमा पर उतर कर सीमा शु:ल्क और आव्रजन मंजूरियां लेनी पड़ती थी।
संसद पर हमले के बद 1 जनवरी 2002 से इस रेल सेवा को बंर कर दिया गया था। जिसे 15 जनवरी 2004 को फिर से शुरू किया गया। फिर दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद इस सेवा को बंद कर दिया गया था। 1999 में राजग रकार द्वारा दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की गयी और प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पहली बस से लाहौर यात्रा की। किंतु इन परिवहन सेवाओ से दोनों के बीच दुश्मनी में कमी नहंी आयी। ऐसा लगता है आज विश्व समुदाय भारत में विश्वास करता है अैर इसी विश्वास के आधार पर लोगों को एकजुट या बांटा जाता है, वोट खीेंच जाते हैं तथा राजनीतिक दलों का निर्माण होता है। इसका उपयोग परंरपराओं और परिपाटियों को बनाने के लिए भी किया जाता है। इस कोरीडोर का निर्माण पूरा होने पर सिख समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गयी। इस कोरीडोर का निर्माण मुख्यतया तीर्थ यात्रियों के लिए किया जा रहा है और आशा की जाती है कि यह कोरीडोर शांति और भाईचारे का प्रतीक बनेगा तथा भय के स्थान पर आशाएं जगाएगा।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो।