नयी दिल्ली । सरिया(Iron rods) में फॉस्फोरस और सल्फर की मात्रा अधिक होना खतरनाक होता है क्योंकि इस तरह के सरिया जंग लगने के साथ ही आग लगने की स्थिति में जल्दी पिघल सकता है।
इस्पात उद्योग पर काम करने वाली संस्था ईपीसी वर्ल्ड द्वारा परीक्षण,शोध एवं विकास सेंटर सनबीम आॅटो प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से कराये गये एक परीक्षण रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार इस्पात के दो तरह के प्राइमरी और द्वितीयक उत्पादक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मानक ब्यूरो मानदंड तय किये हुये हैं और मानक से अधिक फॉस्फोरस तथा सल्फर वाला इस्पात उत्पाद बहुत ही खतरनाक है। इन दोनों में से एक भी पदार्थ मानक से अधिक है तो भी वह खतरनाक है।
ईपीसी वर्ल्ड ने सनबीम आॅटो के सहयोग से देश भर से 8 एमएम और 16 एमएम के सरियों के 44 नमूना इकट्ठा कर जांच कराई तो उसके चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। उसने अक्टूबर में ये नमूने इकट्ठा कर सनबीम आॅटो प्राइवेट लिमिटेड की प्रयोगशाला में जांच कराई, जिनमें ज्यादातर द्वितीयक उत्पादकों के सरिये भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं उतर पाए। इन नमूने में प्राइमरी और द्वितीयक दोनों तरह के सरिया शामिल किए गए थे।
ब्यूरो ने एफई 500 ग्रेड के लिए कार्बन की मात्रा 0.30 प्रतिशत, सल्फर और फॉस्फोरस अलग-अलग 0.055 झ्र 0.055 प्रतिशत और सल्फर-फॉस्फोरस मिक्स 0.105 प्रतिशत का मानक तय किया हुआ है। इसी तरह एफई 500 डी के लिए कार्बन की मात्रा 0.25 प्रतिशत, सल्फर और फॉस्फोरस अलग-अलग 0.040 झ्र 0.040 प्रतिशत और सल्फर-फॉस्फोरस मिक्स 0.075 प्रतिशत का मानक है। इन मानकों के आधार पर ही उपरोक्त ग्रेड के सरियों की क्षमता भी निर्धारित की गई है जिससे भूकंप, तूफान, सुनामी जैसी आपदाओं में भी मकान आदि इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रह सके।
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