नई दिल्ली (एजेंसी)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) (International Monetary Fund (IMF))ने कहा है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक में सरकार या उद्योगों के हस्तक्षेप के खिलाफ है और वह सरकार एवं केन्द्रीय बैंक के बीच हाल के विवाद पर नजर रखे हुए है। आईएमएफ के संचार निदेशक गेरी रिस ने गुरुवार को वाशिंगटन में संवाददाता सम्मेलन में रिजर्व बैंक और भारत सरकार के बीच विवाद के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मुद्रा कोष इस विवाद पर नजर रखे हुए है और आगे भी इस पर नजर रखेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बैंक में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और आईएमएफ बैंकिंग नियामक की जिम्मेदारी, दायित्व तथा अंतरराष्ट्रीय श्रेष्ठ मानकों का समर्थन करता है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच मतभेद की रिपोर्ट आयीं हैं और इसके बाद वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान करती है और दोनों पक्षों के बीच समय -समय पर होने वाले विचार-विमर्श के अंतिम निर्णय को ही सार्वजनिक किया जाना चाहिये। आरबीआई अधिनियम के तहत प्रदत्त केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता शासन के लिये जरूरी है। सरकार इसका सम्मान करती है।
उसने कहा कि सरकार और आरबीआई दोनों की कार्यप्रणाली लोकहित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार होनी चाहिये। इस उद्देश्य के साथ सरकार और आरबीआई के बीच समय – समय पर विभिन्न मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श होता है। अन्य नियामकों के साथ भी ऐसा होता है। सरकार ने कभी भी विचार-विमर्श की विषयवस्तु को सार्वजनिक नहीं किया। सिर्फ अंतिम निर्णय ही सार्वजनिक किये जाते हैं। सरकार इस विचार-विमर्श के माध्यम से मुद्दों पर अपनी राय रखती है और संभावित सुझाव देती है। आगे भी सरकार ऐसा करती रहेगी।
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