70 से अधिक बच्चे जमीन पर बैठ सीख रहे ककहरा | Hundred-Year-Old ruins building
भिवानी (सच कहूँ न्यूज)। शहर के बीचोंबीच एक ऐसा अजब गजब सरकारी स्कूल भी है, जो अपनी ही विशेषताओं के लिए सुर्खियों में आ गया। जी हां अन्य सरकारी स्कूलों के लिए नसीहत के तौर पर हरियाणा मौलिक शिक्षा निदेशालय ने मॉडल स्कूल और मॉडल संस्कृति स्कूल विकसित किए थे, ताकि इन स्कूलों में बच्चों को वे सभी ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराई जा सके, जो आम तौर पर सामान्य सरकारी स्कूलों में नहीं होती, मगर यहां तो सौ साल से अधिक पुराने खंडहर भवन (Hundred-Year-Old ruins building) में ही मॉडल राजकीय प्राथमिक पाठशाला कई वर्षों से चल रही है।
इस पाठशाला का भवन अब इतना खस्ताहाल है कि रोजाना ही छतों से चूना मिटठी का मलवा छतों से नीचे गिरता है, जिसमें पढनÞे वाले नौनिहालों पर भी खतरा मंडराने लगा है। हालांकि इस खंडहर हो चुके मॉडल राजकीय प्राथमिक पाठशाला भवन में 70 बच्चे कक्षा पहली से पांचवीं तक शिक्षा हासिल कर रहे हैं, मगर इन मासूमों को जमीन पर बैठकर ही अक्षर ज्ञान मिल रहा है। जबकि सामान्य सरकारी स्कूलों में भी सभी छोटे बच्चों को डेस्क उपलब्ध कराए जा चुके हैं, मगर इस स्कूल की शिक्षा व्यवस्था आज भी टाटपटटी पर ही शुरू होती है।
शहर के सिटी पुलिस थाना बिचला बाजर स्थित राजकीय मॉडल स्कूल में फिलहाल चार शिक्षकों का स्टाफ भी तैनात हैं, इसके अलावा यहां स्कूल मुखिया का पद भी है। ये भी यहां पढनÞे वाले करीबन 70 बच्चों को रोजाना पढ़ाते तो हैं, मगर यहां की ढांचागत सुविधाओं के अभाव में शिक्षकों का मन भी बैचेन हो उठता है, क्योंकि क्लास रूम के नाम पर यहां केवल तीन से चार कमरे हैं, मगर इन कमरों की हालत मरम्मत के बावजूद भी नहीं सुधारी जा सकी। क्योंकि सौ साल से ज्यादा पहले बना ये भवन पूरा चूना मिटटी एवं छोटी ईंटों से बना हैं, जो अब पूरी तरह से कंडम हो चुका है।
राजकीय प्राथमिक मॉडल पाठशाला में कहने को तो बच्चों के लिए खेलकूद का साजोसामान भी हैं, मगर जगह के अभाव में नौनिहालों का मन खेलकूद के बिना अधीर हो उठता है। क्योंकि कमरों के अंदर वे सुरक्षित वातावरण नहीं पा रहे हैं वहीं खेल का मैदान नहीं होने से खेल का सामान भी किसी कोने में कबाड़ में तबदील हो रहा है।
इस सम्बंध में राजकीय मॉडल प्राथमिक पाठशाला की मुख्य शिक्षिका कौशल्या ने बताया कि स्कूल में बच्चों के लिए खेलकूद का सामान के साथ साथ बैठने के लिए डेस्क भी हैं, मगर स्कूल का भवन काफी पुराना हो चुका है, जिसे तोड़कर अब नए सिरे से निर्माण की जरूरत बनी हुई है। जर्जर भवन के सम्बंध में काफी बार पत्राचार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बच्चों बेहतर शैक्षणिक माहौल देने के लिए वे हर संभव कदम भी उठा रहे हैं।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो।