केन्द्र और सीवीसी को भी नोटिस जारी | CVC
नई दिल्ली (एजेंसी)। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ जांच करने और दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पीठ ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र और सीवीसी को भी नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक के नेतृत्व में यह जांच पूरी कराने का आदेश दिया है। वर्मा ने स्वयं को छुट्टी पर भेजने के केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ बुधवार को एक याचिका दायर की थी।
सीबीआई मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का सरकार ने किया स्वागत
सरकार ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से संबंधित विवाद में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों विशेष रूप से देश की प्रमुख जांच एजेंसी को लेकर पूरी निष्पक्षता बनाए रखने का उसका रुख सही साबित हुआ है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार न्यायालय के आज के आदेश को बहुत सकारात्मक मानती है। सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों के संबंध में केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) के निर्देश तथा सरकार का निर्णय उच्च मानकों और उचित कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में दो अतिरिक्त कदम उठाने को कहा है। एक तो मामले की जांच को जल्दी निपटाना और दूसरा जांच न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में करना। उन्होंने कहा कि न्यायालय का आदेश निष्पक्षता की प्रक्रिया को और मजबूत करता है। सरकार का यह मानना रहा है कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच यह जांच एजेंसी खुद नहीं कर सकती। सीबीआई के कामकाज की निगरानी करने का अधिकार सीवीसी को है और न्यायालय का आदेश इस तथ्य को सही साबित करता है तथा सरकार के पक्ष को मजबूत करता है।
न्यायालय का आदेश सरकार के मुंह पर तमाचा: कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक अलोक वर्मा कोे हटाने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के आदेश को मोदी सरकार के मुंह पर तमाचा करार देते हुए कहा कि न्यायालय ने सच को जिन्दा रखा है। पार्टी ने एक बयान जारी कर न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज पत्रकारों से कहा कि जो लोग सीबीआई की स्वायत्तता को नष्ट करने का प्रयास कर रहे थे यह उनके मुंह पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि सीवीसी अब सरकार के इशारे पर काम नहीं कर सकती बल्कि उसे उच्चतम न्यायलय के पूर्व न्यायाधीश की देखरेख में काम करना होगा।
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