सीबीआई विपक्षी नेताओं को डराने के काम ली जाती है यह आरोप इस पर आए दिन के हैं, तभी इसे सरकार का तोता कहा गया लेकिन अभी सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों आलोक वर्मा व राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी लड़ाई से एक और बात भी सामने आ रही है कि यह भ्रष्ट भी है और इसके बड़े से बड़े अफसर बिक भी सकते हैं बशर्तें की कोई कीमत अच्छी दे दे। यूं भी आए दिन सीबीआई को काम नहीं करने के लिए अदालत की फटकार लगती ही रहती है।
देश की शीर्ष जांच एजेंसी का यह हाल है तब इस देश में न्याय की उम्मीद अब किससे की जाए? यह एक यक्ष प्रशन खड़ा हो गया है। यहां साफ कर देना चाहता हूँ कि सीबीआई में भ्रष्टाचार के और भी मामले मिल सकते हैं, अगर केन्द्र सरकार ईमानदारी से इस संस्था की छानबीन करे। पैसों के लेनदेन के अलावा इसके अफसर धार्मिक संकीर्णता, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद, नेताओं से सांठगांठ में भी लिप्त पाए जा सकते हैं।
डेरा सच्चा सौदा के गुरु जी का मामला भी सीबीआई की काली करतूतों से भरा मिलेगा अगर उसकी भी नए सिरे से जांच हो, क्योंकि डेरा सच्चा सौदा के मामले में डेरा अनुयायी एक नहीं अनेक बार यह आरोप लगा चुके हैं कि सीबीआई उन्हें जानबूझकर फंसा रही है और सारा मामला राजनीति, ब्लैकमेलिंग का खेल है जो नशा माफिया व समाज विरोधी तत्व डेरा के गुरु जी के विरुद्ध रच रहे हैं।
जिनमें डेरा सच्चा सौदा के गुरु जी को इंसाफ तो क्या दिलाना था उलटे उन पर ही मुकद्दमें दर्ज कर दिए गए। पूज्य गुरु जी के बचाव में केस देख रहे उनके अधिवक्ता भी यह कई दफा कह चुके हैं कि सीबीआई ने जांच से जुड़े कई तथ्यों को छुपा लिया ताकि फैसला डेरा के पूज्य गुरु जी के विरुद्ध हो।
उक्त एक मामला है, ऐसे पता नहीं कितने मामले होंगे जो सीबीआई में फैले भ्रष्टाचार की वजह से अदालत को गुमराह कर गए होंगे, इसका पूरा पता तभी चल सकता है अगर इसकी जांच हो व पीड़ितों की सुनी जाए। सीबीआई में फैले भ्रष्टाचार की जांच करने वाले अधिकारी भी सीबीआई से लिए जा रहे हैं यह दूसरी बड़ी गलती सरकार कर रही है। जबकि सीबीआई में अभी जो भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं उसकी जांच सीबीआई या पुलिस के अलावा किसी अन्य से करवाई जाए वे पूर्व न्यायधीश हो सकते हैं, कोई कमीशन गठित किया जा सकता है।
आम देशवासियों को भले ही सीबीआई के भ्रष्टाचार का अब पता चला हो, लेकिन बताने वाले बता रहे हैं कि यह सब ठीक वैसे ही है जैसे राज्य पुलिस के अफसरों व कर्मियों में फैला भ्रष्टाचार है। सरकार भी सीबीआई के मामले पर गलतियां कर रही है और सीबीआई के भ्रष्टाचार पर निकल रही खबरों को ‘जूसी मसाला’ बताकर मामले को हल्का कर रही है।
भ्रष्टाचार देश के विरुद्ध बहुत ज्यादा ताकतवर हो चुका है चूंकि जिन कंधों पर भ्रष्टाचार मिटाने का विश्वास किया जाता है वही इसे ढ़ोने में लगे हुए हैं। देश का प्रशासनिक तानाबाना भ्रष्टाचार की इस अमरबेल की जकड़ से कैसे आजाद हो पाएगा देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती है। वर्तमान पीढ़िया भ्रष्टाचार की लड़ाई के सामने बेबस हैं इसमें कोई दो राय नहीं।
प्रकाश सिंह सरवारा
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