पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पहले के शासकों की भांति कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया है। ताजा घटनाक्रम में उन्होंने ट्वीट किया है कि जम्मू कश्मीर में निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। उनका निशाना भारतीय सुरक्षा बलों पर है। यूं भी यदि सच्चाई को देखा जाए तो आतंकवादी निर्दोष भारतीय लोगों को जरूर मार रहे हैं व यह आतंकवादी पाकिस्तान की धरती से तैयार होकर आ रहे हैं। दरअसल इमरान भी कश्मीर के मुद्दे का कोई समाधान निकालने की बजाए इससे भागने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने समस्या का समाधान आपसी बातचीत से ही निकालने की बजाए संयुक्त राष्टÑ के प्रस्तावों पर बल दिया है। लेकिन हकीकत यह है कि विश्व में यह सिद्धांत माना जा चुका है कि अमन शांति का माहौल पैदा किए बिना शांति बहाल नहीं हो सकती। जब सेना की दो टुकड़ियों में टकराव पैदा होता है तो किसी समझौते पर पहुंचने के लिए बंदूक का शांत होना जरूरी है। यह बात समस्या व मुद्दे के प्रति इमानदारी का प्रमाण होती है। अमन शांति चाहने वाले अमन शांति का स्वागत करते है, लेकिन पाकिस्तान हालातों के विपरीत हिंसा के बल पर समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहा है जो किसी भी सूरत में असंभव है। हिन्दूस्तान पाकिस्तान के मुकाबले आकार व ताकत की दृष्टि से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। शक्ति की तुलना किए बिना पाकिस्तान का भारत को धमकाना व्यर्थ है। दरअसल पाकिस्तान खुद ही नहीं चाहता कि कश्मीर मुद्दे का हल हो। इमरान को इस बात का भी पता है कि संयुक्त राष्टÑ के प्रस्तावों के अनुसार कभी भी सहमति नहीं बन सकेगी व बात भी नहीं आगे बढ़ सकती। इसीलिए पाकिस्तान संयुक्त राष्टÑ की दोहाई देता है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग ही पाकिस्तान के खिलाफ हैं जिन्हें हिंसा से दबाया जा रहा है। पाकिस्तान कश्मीरियों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहा है व आतंकवादी निर्दोष कश्मीरियों का खून बहा रहे हैं। यूं भी पाकिस्तान की हालत बेहद दयनीय है जो बिलोचिस्तान में आजादी की जंग को दबाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। पाकिस्तान के शासक जो वित्तीय संकट से दो-चार हो रहे हैं उन्हें कश्मीर की चिंता छोड़कर अपनी जनता की बदहाली की चिंता करनी चाहिए। पाकिस्तान का खजाना मंदी की दौर से गुजर रहा है, जिसे भरने की आवश्यकता है। आखिर ओबामा बिन लादेन जैसे आतंकी को शरण देकर पाकिस्तान ने आतंकवादियों से मित्रता का प्रमाण दिया था। कश्मीरियों के दुख सुनने की बजाए इमरान खान स्वात घाटी व बिलोचिस्तान की तरफ ध्यान दें। मलाला जैसी बहादुर लड़कियों ने पाकिस्तान को अमन शांति व सफलता का जो संदेश दिया है पाक शासकों को उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अमन शांति की जरूरत पाकिस्तान में है, फिर भी यदि पाकिस्तान को कश्मीरियों की चिंता है तो वह मस्जिदों में अल्लाह की इबादत कर रहे लोगों पर हो रहे हमलों व बम धमाकों को रोके। यह लोग निर्दोष मारे जा रहे हैं व इनका दुख पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को अवश्य होना चाहिए।
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