खोखले सिस्टम की हुई निर्मम हत्या

Manufactured Murder, Hollow System

घटना स्थल पर बिखरे शरीर के कटे छोटे-छोटे अवशेषों, टूटी चप्पलें, तितर-बितर सामान, चारों ओर चीख-पुकार की दहाड़ती आवाजे, ये बताने के लिए काफी है कि कैसा रहा होगा वहां का मंजर। घटना हो जाने के बाद हर तरफ पड़ी लाशों को देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो रहे थे। मृतकों के परिजन रेल से कटे अपने लोगों के शरीर के अंगों को उठाकर इधर-उधर, रो-बिल्ला रहे थे। कुछ घंटों तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। प्रशासनिक अमला भी घटनास्थल पर पहुंच चुका था, लेकिन उनके भी समझ में नहीं आ रहा था कि लाशों के ढेर कहां से उठाएं। रूंह कपा देने वाली अमृतसर की घटना ने क्षण भर में ही पर्व के दिन पूरे हिंदुस्तान की खुशियां मातम में तब्दील कर दी।

घटना में किसी ने अपने पति को खोया, किसी ने अपने बेटे को, तो किसी ने अपनी मां, बहन व भाई को। दुख इस बात का है कि घटना की जिम्मेदारी न प्रशासन ले रहा और न ही कार्यक्रम के आयोजक। सभी पीछा छुडाने में लगे हैं। लेकिन जो कसूरवार दिखाई भी पड़ रहे हैं वह यह तो नदारद हैं, नहीं तो बचने का जुगाड़ लगा रहे हैं। घटना के गुनाहगार कार्यक्रम के वह आयोजक ही हैं जिन्होंने प्रशासन की बिना इजाजत के मौत तांड़व खेला। उनको पता था जहां कार्यक्रम आयोजित होगा, वह बहुत ही संवेधनशील इलाका है बावजूद इसके उन्होंने हिमाकत की गई। घटना के वक्त कई नेता कार्यक्रम मंच पर मौजूद थे लेकिन घटना का पता लगते ही सभी रफूचक्कर हो गए।

अपने-अपने घरों में जाकर दुबक गए। और जनता को भेड़-बकरियों की तरह मरने को छोड़ गए। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह की पत्नी भी उस समय वहीं मौजूद थीं लेकिन वह भी पतली गली से खिसक गईं। इंसान की वेदना इतनी खत्म हो गई हैं कि मरते इंसान की भी कोई सहायता नहीं करता। नवजोत कौर को घटना में हताहत हुए लोगों की देखरेख करनी चाहिए थी वजय वहां से भागने की।

अमृतसर प्रशासन के बिना अनुमति के आयोजित हुए दशहरा कार्यक्रम में जो हादसा हुआ उसके जिम्मेदार आयोजक हैं? संभावित घटना घटने के चलते स्थानीय प्रशासन ने वहां पिछले साल भी आयोजन की इजाजत नहीं दी थी। लेकिन इस बार कांग्रेस नेता के बेटे ने अपनी दबंगई से गैरकानूनी तरीके से रावण दहन का आयोजन किया। उनकी इस हटधर्मी के चलते ही बड़ा हादसा हुआ। महज दस मिनट के अंतराल में ही रेल सैकड़ों लोगों को काटते हुए निकल गई। पर्व का माहौल क्षण भर में मातम में तब्दील हो गया। घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद भी वहां चीख-पुकार का माहौल है। लोग अपनों की यादों को वहां महसूस कर रहे हैं।

कई लोग अब भी लापता हैं। कुछ शवों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो सकी है। घटना के वक्त प्रशासन को जो मद्द करनी चाहिए थी वह नहीं की गई। प्रदेश सरकार की उदासीनता भी सामने आई है। पंजाब के मुख्यमंत्री उस वक्त दिल्ली हवाई अड्डे पर थे, वह विदेश जा रहे थे। घटना की खबर सुनकर नहीं गए और वापस लौट गए, लेकिन सीधे घटनास्थल पर जाना मुनासिब नहीं समझा।

दूसरे दिन दोपहर को वहां पहुंचे। राजनेताओं के आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो गया। भाजपा नेता घटना के कसूरवार वहां के विधायक और कांग्रेस नेता नवजोत सिद्वू को ठहरा रहे हैं। क्योंकि घटना के दौरान सिद्द्वू की पत्नी आयोजन स्थल की मुख्य अतिथि थीें। जब घटना हुई तो वह वहां से तुरंत निकल गईं। विभिन्न पहलूओं की जानकारी जुटाई तो पता चला कि कांग्रेस पार्षद के पुत्र सौरभ मिठू मदान ने आयोजन करवाया था। आयोजन स्थल रेलवे ट्रैक से एकदम सटा हुआ था। लोग ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन का नजारा देख रहे थे।

उसी दौरान अमृतसर-हावड़ा मेल आ गई। अपने बचाव के लिए लोग दूसरे ट्रैक पर चले गए, लेकिन तभी दूसरी ओर से भी ट्रेन आ गई। लोग जबतक खुद को संभालते रेल उनको काटती हुई निकल गई। सैकड़ों लोगों का काल बनीं जालंधर-अमृतसर डीएमयू की गति बहुत तेज थी। घटना में घायल हुए प्रत्यक्षदर्शी अमन, बलजोत और खेड़ा के मुताबिक आतिशबाजी के शोर में किसी को ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं दी। मरने वाले लोगों के शरीर कई हिस्सों में बंट गए। मौत का सरकारी आंकडा साठ-सत्तर का बताया जा रहा है लेकिन मौते ज्यादा होने का अनुमान है। घटना का आरोप अपने सिर न लेने को लेकर रेलवे अपना पीछा छुड़ाने के फिराक में है।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी कहते हैं कि बेशक ड्राइवर की गलती है लेकिन अगर वह इमरजेंसी ब्रेक लेता तो हादसा और भी बड़ा हो जाता, उससे ट्रेन पलट भी सकती थी। हादसे की जगह अंधेरा था और ट्रैक घुमावदार भी था। लोहानी ने कहा कि गेटमैन की जिम्मेदारी सिर्फ गेट की होती है, हादसा इंटरमीडिएट सेक्शन पर हुआ, जो कि एक गेट से 400 मीटर दूर है, वहीं दूसरे गेट से आधा किलोमीटर दूर है। लोहानी ने यह भी कहा कि जिस जमीन पर दशहरा का आयोजन था वह रेलवे की जमीन नहीं है। आयोजन के संबंध में हमें सूचित नहीं किया गया था। मतलब किसी भी तरह से मामले को रफादफा करने के जुगत में हैं रेलवे तंत्र।

घटना में ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग शामिल हैं। दैनिक मजदूरी करने वाले लोग शाम को अपने बच्चों के साथ रावण दहन होते देखने गए थे। कुछ लोग अपने बच्चों को कंधों पर बैठाकर रेल ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन का नजारा दिखा रहे थे। लेकिन उनको क्या पता था पीछे से उनकी मौत आ रही है। रेल आई तो सबको रौंदती हुई निकल गई। मृतकों में ज्यादातर यूपी-बिहार के लोग बताए जा रहे हैं। अमृतसर हादसे में रावण का किरदार निभाने वाले कलाकार दलवीर सिंह की भी मौत हो गई।

अपना रोल खत्म करने के बाद दलवीर मेकअप उतारने मंच से रेलवे फाटक की तरफ जा रहे थे। तभी वह ट्रेन की चपेट में आ गए। कार्यक्रम में दलवीर सिंह का छह माह का बेटा, पत्नी और बूठी मां भी मौजूद थीं। बेटे की दर्दनाक मौत की खबर सुनकर उनका रो-रोकर बुरा हाल है। दलबीर ने कईंयों की जाने बचाई लेकिन खुद मौत के मुंह में आ गया। दलबीर ने शहीद होने जैसा कार्य किया है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।

रमेश ठाकुर

 

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