नशे की लत में बर्बाद होती युवा पीढी

Young generation wasted in addiction

भारत जनांकिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसके कारण 29 वर्ष की औसत आयु के साथ भारत विश्व का सबसे युवा आबादी वाला देश बन गया है। एक ओर जहां विश्व की सबसे युवा आबादी वाला देश होना हमारे लिए गर्व की बात है तो वहीं दूसरी ओर अधिसंख्यक युवा आबादी के एक बड़े तबके का नशे की फितूर में डुब जाना चिंता का विषय है। नशे का फितूर इतना खतरनाक होता है कि वह व्यक्ति को तबतक अपने आगोश में जकड़े रहता है, जब तक की नशे की गिरफ्त में आए व्यक्ति का समूल नाश न हो जाए। व्यापक स्तर पर युवाओ में फैलती नशाखोरी भारत की मुख्य समस्याओं में से एक है। पाश्चात्य संस्कृति और सिनेमा की नशाखोरी को बढावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सिनेमा में ध्रूमपान जैसे दृश्य को धड़ल्ले से फिल्माया जा रहा है, जिसका प्रभाव किशोरों एवं युवाओं पर सर्वाधिक पड़ता है, हमारी युवा पीढी उसी से सीख कर ध्रूमपान एवं नशाखोरी को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना लेती है। जिस तरह पश्चमी देशों का समाज नशा को मार्डनें एवं प्रगतिशीलता की निशानी मानता है,ठीक उसी तरह 21 वीं शताब्दी के भारतीय समाज में नशापान स्वीकार्यता व्यापक स्तर पर बढ़ी है। यह कड़वी सच्चाई है कि भारत की अधिसंख्यक युवा आबादी नशे की लत का बुरी तरह शिकार हो चुकी है। नशा कई तरह का होता है, जिसमें शराब, सिगरेट, अफीम, गांजा, हेरोइन, कोकीन, चरस मुख्य है। नशा एक ऐसी बुरी आदत है, जो किसी इंसान को पड़ जाए तो उसे दीमक की तरह अंदर से खोखला बना देती है। नशा से पीड़ित व्यक्ति मानसिक,आर्थिक एवं शारीरिक रुप से बर्बाद हो जाता है।

मुझे गांव एवं शहरों में प्रवास करने का सौभाग्य मिल चुका है। मैंने अपनी आंखो से अपने आसपड़ोस में व्यसन से व्यथित युवाओं को बर्बाद होते देखा है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी मुख्यतया पुरुष वर्ग पर होती है एवं महिलाएं घरेलू कामकाज को संपादित करती है।
शहरों की कहानी ग्रामीण क्षेत्रों से बिल्कुल अलग है। शहरी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शौक से घ्रूमपान करती है। शहर में नशा से परहेज करने वालों को गंवार एवं अप्रगतिशील तक कहा जाता है। भारत में शराब बिहार सहित कई राज्यों में प्रतिबंधित है। बावजूद इसके भारत में शराब की खपत प्रत्याशित तरीके से बढ़ी है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हैरान कर देने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में शराब की खपत 2005 से 2016 तक दोगुनी हो गयी है। भारत में 2005 में प्रति व्यक्ति रोजाना शराब की खपत 2.4 लीटर थी जो अब बढकर 5.7 लीटर प्रति व्यक्ति रोजाना हो गयी है। हर रोज भारत में 4.2 लीटर शराब का उपभोग पुरुषों द्वारा और 1.5 लीटर शराब का उपभोग महिलाओं द्वारा किया जाता है। नशाखोरी के मामले में पंजाब देश में सर्वोच्च स्थान पर काबिज है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब का हर तीसरा छात्र और हर दसवीं छात्रा नशा के फितूर में डूबी हुई है। इसके अलावा पंजाब में हर महीनें 112 लोगों की असमय मौत का कारण उनका घ्रूमपान करना होता है। यहां तक की पंजाब में नौ लाख लोग नशीली दवाओं का भी सेवन करते है। नशों के दलदल में बुरी तरह फंस चुके लोगों को जब घ्रूमपान करने से वर्जित किया जाता है तो वे अवसादग्रस्त हो जाते है, जिसकी परिणति आत्महत्या के रुप में सामने आती है। पिछले दस सालों में पंजाब में नशा नही मिलने के कारण अवसादग्रस्त होकर लगभग 25 हजार लोग आत्महत्या कर चुके है। विगत चार वर्षों में पंजाब पुलिस की छापेमारी के दौरान राज्य में करीब उनतालिस टन नशीला पदार्थ बरामद किया गया है। सूबे के सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2016 के एक आंकड़े के अनुसार पंजाब के गांवो में करीब सड़सठ फीसद घर ऐसे हैं,जहां कम से कम एक व्यक्ति नशे की चपेट में है। पंजाब का दुष्प्रभाव उसके पड़ोसी राज्य हरियाणा पर भी पड़ा है। नशारुपी चिड़िया पंजाब से उड़ती हुए अब हरियाणा और शेष भारत में अपना घोंसला बना चुकी है।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो