पंजाब विधान सभा के सत्र दौरान जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट पर बहस दौरान कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह अपना आपा खोकर घटिया से घटिया शब्द बोल रहा था। कई शब्द उसे मौके पर वापिस लेने पड़े। नवजोत सिद्धू को तो यह एक बड़ा मौका मिला था। सुखबीर बादल के खिलाफ बोलने के दौरान सिद्धू जोश में होश खो चुके थे, उसे शब्दों का भी ध्यान नहीं था जो भी मुंह में आया बोलता गया। विशेष तौर पर उसने ऐसी बातें भी कही जिसकी उसे कोई जानकारी तक नहीं थी, लेकिन गुस्से में भरा हुआ वह आत्म विश्वास का नाटक कर रहा था। सिद्धू ने डेरा सच्चा सौदा के बारे में भी एक संस्था की जानकारी गलत दी। सिद्धू ने रूहानी जाम के संबंध में कहा कि पूज्य गुरु जी को सिखों की सर्वोत्तम संस्था ने ‘तनखाईया’ (धार्मिक सजा) करार दिया है। यह कहते हुए सिद्धू को सबने सुना और देखा क्योंकि विधान सभा की कार्रवाई लाइव चल रही थी। सिद्धू को पता होना चाहिए कि सिखों की सर्वोत्तम संस्था ने पूज्य गुरु जी को न तो बुलाया और न ही ‘तनखाईया’ करार दिया था। सन 2007 में ही कुछ सिख विद्वानों ने कहा था कि तकनीकी तौर पर पूज्य गुरु जी को तलब किया ही नहीं जा सकता लेकिन सिद्धू अपने आप इस तरह चिल्ला रहा था जैसे वह बहुत ज्यादा ज्ञान रखता हो।
वाह-वाह सिद्धू और वहां बैठे कांग्रेसी व आप विधायकों के जिन्होंने सिद्धू की जानकारी को सही करने की जहमत तक नहीं की दूसरी बात सिद्धू बहुत ही चालाकी से तथ्यों से मुंह छिपा रहा था। सिद्धू ने रणजीत सिंह कमीशन के गवाह हिम्मत सिंह के बयान का हवाला देकर कहा कि डेरा सच्चा सौदा व सुखबीर बादल के बीच फिल्म चलाने संबंधी मुंबई में अभिनेता अक्षय कुमार के घर 100 करोड़ की डील हुई थी। हिम्मत सिंह के बयान से मुकर जाने के संबंध में सिद्धू कहता है कि बयान मुकरवाने में भी बादल परिवार मशहूर है। लेकिन सिद्धू ने इस बात पर मुंह तक नहीं खोला कि अभिनेता अक्षय कुमार मीडिया में कह रहा है कि सुखबीर बादल उसके घर आया ही नहीं। अक्षय कुमार ने यह भी कहा कि वे कभी भी व्यक्तिगत रूप से बादल को नहीं मिले। सिद्धू हिम्मत सिंह को तो मुकर गया कह रहा था लेकिन अक्षय कुमार के खिलाफ बोलने की उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ी। खुद को पाक साफ व बड़ा नेता समझने वाला सिद्धू खुद ही सवालों में घिरा हुआ है, जिसकी अपनी कोई जुबान नहीं, वह बयान बार-बार बदलता है।
सिद्धू कहता है कि कोटकपूरा व बहबल कांड ने जलियांवाला बाग का कांड याद करवा दिया है लेकिन जब यह घटना घटित हुई थी सिद्धू ने तब इस घटना पर कभी मुंह नहीं खोला था और न ही सिद्धू कभी गोली कांड के शिकार हुए व्यक्तियों के परिवारों को मिले थे। उस वक्त पर सिद्धू भाजपा में थे, जिसका अकाली दल के साथ गठजोड़ था, इसीलिए सिद्धू अकाली-भाजपा सरकार खिलाफ चुप रहा। अब सिद्धू कांग्रेस में है और अकाली दल विरोधी पार्टी है इसीलिए विरोध की निंदा करना राजनीतिक नेताओं की पुरानी रिवायत है, फिर सिद्धू जैसे नेता, जिसे शायरी व अंग्रेजी आती हो इस तरह बोलता है जैसे वह शुरू से कांग्रेस में रहा हो। यह वही सिद्धू है जो भाजपा में होने पर कहता था कि भाजपा मेरी मां है। अब यही सिद्धू कह रहा है कि कांग्रेस मेरे खून में है। बोलने का अधिकार सबको है लेकिन कम से कम जानकारी तो सही होनी चाहिए। हिम्मत सिंह के खिलाफ बोलने की जितनी हिम्मत सिद्धू ने की है उतनी हिम्मत अक्षय कुमार के बयान के बारे में भी करनी चाहिए थी। वास्तविकता यह है कि अक्षय कुमार के बयान ने जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की पोल खोल दी है। कमीश्न ने हिम्मत सिंह की गवाही को आधार बनाकर ही डील वाली झूठी कहानी बनाई जबकि अक्षय कुमार के घर कोई मीटिंग के होने के संबंध में कमीश्न के पास कोई तस्वीर या मोबाइल फोन की लोकेशन या कोई अन्य पुख्ता सबूत नहीं था। इसीलिए हिम्मत सिंह का नया ब्यान आने से आयोग का झूठ सामने आ गया है।
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