नई दिल्ली (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वूपूर्ण फैसले में कहा कि राज्यसभा चुनाव में ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ अर्थात (नोटा) NOTA के विकल्प की अनुमति नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने शैलेष मनुभाई परमार की याचिका पर राज्यसभा चुनाव के मतपत्रों में नोटा के विकल्प की इजाजत देने वाली निर्वाचन आयोग की अधिसूचना भी रद्द कर दी।
खंडपीठ ने अधिसूचना पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि नोटा सीधे चुनाव में सामान्य मतदाताओं के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने मतपत्रों में नोटा NOTA के विकल्प की इजाजत देने वाली आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी थी। न्यायालय ने गत 30 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुजरात कांग्रेस के नेता का कहना था कि राज्यसभा चुनाव में यदि नोटा NOTA के प्रावधान को मंजूरी दी जाती है तो इससे ‘खरीद-फरोख्त और भ्रष्टाचार’ को बढ़ावा मिलेगा।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।