शहीद कभी पैदा नहीं किए जाते, वे तो जन्म से ही देश व धर्म पर कुर्बान होने के लिए तैयार रहते हैं। उनमें संघर्ष की भावना कूट-कूट कर भरी होती है। शहीदों की इसी गौरवमयी गाथा को आगे बढ़ाते हुए राजस्थान के पीलीबंगा कस्बे के महान् शहीद भगवान दास इन्सां ने धर्म व देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर दिया।
श्री इन्सां ने आत्मदाह कोई अपने स्वार्थ के लिए नहीं किया, बल्कि देश की एकता व अखंडता को चुनौती देने व धर्म को ठेस पहुंचाने के कृत्य करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जगह प्रशासन द्वारा सरंक्षण देने के कदम के खिलाफ किया है। ऐसे महान शहीद को हर कोई बार-बार शत्-शत् नमन करेगा।
महान शहीद भगवानदास इन्सां का जन्म गहरी भागी जिला बठिंडा (पंजाब) में 16 सितम्बर 1964 को माता माया देवी व पिता रामकिशन के घर हुआ। श्री रामकिशन के मंझले बेटे भगवान, एक भाई नरेन्द्र इन्सां व बहन कमला इन्सां थे। बचपन का समय गहरी भागी में बिताने वाले भगवान दास इन्सां की प्रारम्भिक शिक्षा गहरी भागी, जस्सी पौ वाली व बठिंडा (पंजाब) में हुई। युवावस्था में वे राजस्थान के पीलीबंगा कस्बें में आ गए। यहां वे अपने पिता के साथ कपड़े का व्यापार करने लगे।
17 सितम्बर 1985 को श्री इन्सां का विवाह हनुमानगढ़ निवासी मदनलाल गर्ग की पुत्री गायत्री देवी के साथ हुआ। समय के साथ-साथ श्री इन्सां के दो पुत्रियां व दो पुत्रों, जिनमें पुत्र गुरप्रीत इन्सां, गुरदात इन्सां व पुत्रियां सीमा इन्सां व निशा इन्सां के रूप में पूजनीय गुरूजी से दात मिली। परिवार के साथ-साथ भगवान दास इन्सां में समाज व देश सेवा का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था। बचपन से ही धर्म के प्रति रूझान रखने वाले महान् शहीद भगवान दास इन्सां डेरा सच्चा सौदा के प्रति अथाह श्रद्धा रखते थे।
डेरा की विभिन्न समितियों में सेवा कार्य करने के साथ-साथ वे पीलीबंगा कपड़ा एसोसिएशन के उपाध्यक्ष व तीन वर्ष तक पीलीबंगा तहबाजारी के अध्यक्ष पद पर भी रहे। श्री इन्सां ने जिस भी काम को ठाना उसे करके दिखाया। महान शहीद भगवान दास इन्सां सच्चे व धुन के पक्के थे। पीलीबंगा तहबाजारी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए श्री इन्सां ने गरीब दुकानदारों के लिए न केवल संघर्ष किया बल्कि उनकी मदद हेतु रूपये खर्च करने से भी कभी नहीं चूके। संक्रांति के दिन गरीबों को भोजन करवाना तथा जरूरतमंदो का इलाज करवाना व निर्जला एकादशी पर मीठे पानी की छबीलें लगाकर लोगों को मीठा पानी पिलाने की सेवा करने का भी उनमें एक जज्बा था।
अपनी जागरूक नागरिक व सेवा भावी सोच के चलते हनुमानगढ़ जिले में जहर घोलने का प्रयास करने वाले देश विरोधी असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए संघर्ष किया। जिसे प्रशासन ने गंम्भीरता से नहीं लिया। जिसके चलते श्री भगवानदास इन्सां ने पीलीबंगा उपखंड कार्यालय में आत्मदाह कर लिया। उन्हें बचाने की लाख कोशिशें की गई, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। श्री भगवानदास इन्सां आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके द्वारा देश, धर्म व समाज के लिए किए गए कार्यों के कारण वे हमेशा हर दिल में जगह बनाए रखेंगे। महान शहीद भगवान दास इन्सां की 10वीं पुण्यतिथि पर 16 अगस्त को पीलीबंगा में सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक नामचर्चा का आयोजन किया जा रहा है।
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