नई दिल्ली ((सच कहूँ))। साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता और भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक वीएस नायपॉल अब हमारे बीच नहीं रहे। रविवार तड़के 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। नायपॉल ने लंदन स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। नायपॉल के निधन के बाद उनकी पत्नी नादिरा नायपॉल ने कहा, ‘उन्होंने रचनात्मकता और उद्यम से भरी जिंदगी जी। आखिरी वक्त में वे सभी लोग, उनके साथ थे, जिन्हें वे प्यार करते थे।’
1951 में प्रकाशित हुआ पहला उपन्यास
बता दें कि वीएस नायपॉल का पूरा नाम विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल था। उनका जन्म 17 अगस्त, 1932 में त्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था। उनकी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से हुई थी। उनका पहला उपन्यास ‘द मिस्टिक मैसर’ साल 1951 में प्रकाशित हुआ था।
कभी की थी आत्महत्या की कोशिश
साहित्य की दुनिया की इतनी चर्चित शख्सियत ने कभी आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी। कहते हैं कि छात्र जीवन में नायपॉल ने अवसाद के कारण आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी।
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खन की दुनिया में उन्होंने काफी शोहरत हासिल की। नायपॉल की कई किताबें अंग्रेजी हूकूमत, इसके उपनिवेश के काले दौर पर थीं। उनकी पहली किताब ‘द मिस्टिक मैसर’ साल 1951 में प्रकाशित हुई थी। उनकी किताब ‘अ हाउस फॉर बिस्वास’ और ‘द बेंड इन द रिवर’ काफी चर्चित किताब है। उन्हें अपना चर्चित उपन्यास ‘अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ को लिखने में उन्हें तीन साल से ज्यादा का वक्त लगा था।
नायपॉल के नाम पुरस्कार
- 2001 में उनकी जबरदस्त लेखनी के लिए साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
- नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर
- 1971 में बुकर प्राइज से भी सम्मानित किया गया था।
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