पाकिस्तानी सेना की राजनीति में दखलअंदाजी कम हो
आवश्यकता इस बात की है कि पाकिस्तानी सेना की राजनीति में दखलअंदाजी कम हो लेकिन हालात पिछले समय से इससे भी ज्यादा बिगड़ते नजर आ रहे हैं। इस बार बड़ी समस्या यह है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों ने अपने उम्मीदवार चुनावों में उतार दिए हैं। एक-दो संगठनों ने तो प्रसिद्ध पूर्व क्रिकेटर की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का समर्थन कर दिया है। भले इमरान खान लोकतंत्र के दावे करते हैं लेकिन आतंकवादियों द्वारा अपनी पार्टी को मिल रहे समर्थन पर चुप हैं।
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने आतंकवादियों की राजनीति में घुसपैठ का विरोध किया
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने आतंकवादियों की राजनीति में घुसपैठ का विरोध किया है। इसका सीधा व साफ अर्थ है कि आतंकवादी अपने उम्मीदवारों या अपने साथ संबंधित पार्टियों के उम्मीदवारों के लिए वोट हासिल करने के लिए आतंक फैला रहे हैं। अपना जीवन सबको प्यारा है, ऐसे हालातों में निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव मुमकिन नहीं। इमरान खान को अपनी जीत सुनिश्चित नजर आ रही है इसके चलते वह आतंकियों पर अपनी आंखें मूंंदे हुए हैं।
साजिश के तहत चुने हुए सांसद जेलों में जा रहे हैं
अमेरिका द्वारा आतंकवादी करार दिए गए हाफिज मोहम्मद सैयद का बेटा व जवाई भी चुनाव लड़ रहे हैं। पाकिस्तान का चुनाव आयोग आतंकवाद के हाथों की कठपुतली बना हुआ है। राजनीति व प्रशासनिक हालात दिन-प्रतिदिन बदतर होेते जा रहे हैं। अजीबो-गरीब हालात इस कारण हैं कि एक साजिश के तहत चुने हुए सांसद जेलों में जा रहे हैं व आतंकवादी सांसद बन कानून बनाएंगे। परमाणु हथियारों से सम्पन्न देश की कमान आतंकवादियों के हाथ आने से नई समस्या पैदा होगी।
पाकिस्तान की जेलें आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बनी हुई हैं।
जिन आतंकवादियों के लिए अब तक पाकिस्तान को अंतरराष्टÑीय मंचों पर जवाब देना पड़ता था, उनको संसद में ले जाना देश के लिए खतरनाक साबित होगा। पहले ही पाकिस्तान की जेलें आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बनी हुई हैं। आतंकवादी बाहर से जेलों में अधिक सुरक्षित हैं। विभिन्न सरकारों के पाले हुए आतंकवादी अब राजनेताओं के गले की हड्डी बन गए हैं। आतंकवादियों के खात्मे की बात करने वाले अमेरिका का इस मामले में चुप रहना भी हैरानीजनक है।
अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के लिए पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दे रहा है
अमेरिका आतंकवाद के खात्मे के लिए पाकिस्तान को सैकड़ों करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता दे रहा है अगर आतंकवादियों के उम्मीदवार चुनाव जीतेंगे तो अमेरिकी सहायता आतंकवादी बने सांसद ही खर्र्चेंगें। हालांकि यह पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है लेकिन वहां की राजनीति में इस तरह का पतन भारत के लिए भी चिंता की बात है। अंतरराष्टÑीय समुदाय को इस घटना चक्कर पर विचार करना होगा।
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