पहले के मुकाबले दस प्रतिशत ज्यादा फसल की उम्मीद,
किसानों की बल्ले-बल्ले
भिवानी(सच कहूँ/इंद्रवेश)। इस बार अगर सब कुछ ठीक रहा तो भिवानी के किसानों की बल्ले बल्ले होने वाली है। किसानों की इस बार कपास की फसल बम्पर होगी तथा किसान भी इस फसल को लेकर काफी खुश हं। इस बार भिवानी जिले में किसानों ने एक लाख तीन हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल की बिजाई की है, जबकि पिछले वर्ष किसानों ने 90 हजार हेक्टेयर पर ही किसानो ने कपास की फसल की बिजाई की थी। इस बार दस प्रतिशत ज्यादा कपास की फसल की बिजाई की गई है। किसानों का कहना है कि इस बार अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो यह फसल उनके लिए काफी फायदे मद साबित होगी।
13 हजार हेक्टेयर अधिक रकबे में हुई कपास की बिजाई
भिवानी के किसान इस बार काफी खुश हैं ओर हो भी क्यों ना उनकी मेहनत रंग लाने वाली है। इस बार किसानों ने बाजरा की फसल पर ज्यादा मेहनत ना करके कपास की फसल की बिजाई की है, क्योंकि कपास की फसल कम मेहनत मे ज्यादा फायदा देती है। खास बात तो यह है कि इस बार सूखे क्षेत्र में भी ड्रिप सिस्टम से कपास की फसल की बिजाई की है जो कि सूखे क्षेत्र में भी किसानों ने दस हजार हेक्टेयर भूमि में ड्रिप सिस्टम से फसल की बिजाई की है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सही समय पर फसल पर स्प्रे करके फसल को बचाया जा सकता है तथा अच्छी फसल ली जा सकती है।
ड्रिप सिस्टम से ली किसानों ने ज्यादा फसल
किसान राजकुमार का कहना है कि इस बार उन्होंने पहले के मुकाबले ज्यादा बोई गई है। किसान का कहना है कि बाजरा ज्यादा बोने का फायदा नही है, क्योंकि मंहगी बिजाई करने के बाद आमदनी नही होती इसलिए बाजरा इस बार नही बोया गया है। किसानों का कहना है कि कपास ज्यादा आमदनी देती है इसलिए इस फसल की बिजाई ज्यादा की गई है। यह फसल किसानों के लिए फायदे का सौद होगी।
एहतिहात बरतने की जरूरत
कपास की फसल पर किसानों को एहतिहात बरतने की जरूरत है। समय पर पानी व दवाई की इस्तेमाल करने से किसान अच्छा फायदा उठा सकते हं। ड्रिप सिस्टम से किसान अच्छी पैदावार ले रहे हैं, जो कि काफी अच्छा है।
डॉ. विनोद कृषि वैज्ञानिक
किसानों ने की बाजरे से ज्यादा कपास की बिजाई
इस बार किसानों ने एक लाख तीन हजार हेक्टेयर में कपास की फसल की बिजाई की है। यह फसल पिछले बार के मुकाबले ज्यादा है। पिछले वर्ष 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानो ने कपास की फसल की बिजाई की गई थी पहले के मुकाबले दस प्रतिशत ज्यादा है। कई जगह जहां पानी की कमी है, वहां ड्रिप सिस्टम से बिजाई की गई है। इस बार बाजरा कम बिजाई की गई है तथा कपास की फसल की बिजाई ज्यादा की गई है।
डॉ. प्रताप सभंरवाल
उपनिदेशक, कृषि विभाग
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