कॉलेजों में प्रोफेसरों की भी भारी कमी / Professors Shortage
एक-एक प्रिंसीपल है 3-4 कॉलेजों का अतिरिक्त कार्यभार
सरसा नेशनल कॉलेज के प्रिंसीपल पर है 4 अतिरिक्त कॉलेजों का भार
चंडीगढ़ सच कहूँ न्यूज। उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने व कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में सेवारत (Professors Shortage) प्राध्यापकों को शिक्षा संबंधी और अच्छा माहौल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने भले ही यूजीसी के स्थान पर हायर एजुकेशन कमिशन आॅफ इंडिया के गठन का निर्णय लिया है लेकिन हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग के हालात कुछ ओर ही हैं। प्रदेश के कॉलेजों में दो जुलाई से नए शैक्षणिक सत्र का आरंभ हो चुका है लेकिन वर्तमान में हरियाणा के एक चौथाई से ज्यादा सरकारी कॉलेजों में प्रिंसीपल के पद रिक्त हैं और प्रोफेसरों की भी भारी कमी है। वर्तमान में एक-एक प्रिंसीपल को तीन या चार कॉलेजों का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है।
उदाहरण के तौर पर सरसा के नेशनल महाविद्यालय के प्रिंसीपल के पास सरसा जिले के 4 सरकारी कॉलेजों के प्रिंसीपल का चार्ज है। यहां यह उल्लेखनीय है कि हरियाणा के किसी भी गवर्नमेंट कॉलेज में प्रिंसीपल के पास उच्चतर शिक्षा विभाग, हरियाणा द्वारा कोई सरकारी वाहन नहीं दिया है, तो ऐसे में एक 56 वर्षीय दोनों घुटनों के दर्द से पीड़ित महिला जिसका कि घुटने बदले जाने का ईलाज हरियाणा सरकार के हड्डियों के एकमात्र सरकारी अस्पताल मदर टैरेसा आथोर्पैडिक अस्पताल साकेत, सैक्टर एक, पंचकूला में चल रहा है, कैसे तीन कॉलेजों में वो भी विभिन्न जिलों में अपने कार्य को सुचारू रूप से अंजाम दे सकती है।
9 माह से रद्दी की टोकरी में हैं आदेश / Professors Shortage
हाईकोर्ट के एडवोकेट अरूण जौहर ने मीडिया को हाईकोर्ट के दिनांक 29 सितंबर 2017 के आदेशों की फोटोप्रतियां उपलद्ब्रध करवाते हुए कहा कि क्या हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग के कर्मचारी और अधिकारी माननीय पंजाब एवं उच्च न्यायालय से भी ओहदे में बड़े हैं, अगर नहीं तो वे क्यों हाईकोर्ट के आदेशों को गत 9 महीनों से रद्दी की टोकरी में डाले हुए हैं। उन्हंने आरोप लगाया कि हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग में ट्रांसफर के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का गोरखधंधा होता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्चतर शिक्षा विभाग के ट्रांसफर अनुभाग से संबंधित कर्मचारी व अधिकारी न केवल शिक्षा मंत्री व सीएम बल्कि माननीय पंजाब एवं उच्च न्यायालय के आदेशों को भी रद्दी की टोकरी में डाले देते हैं, जिसका रिट पटिशन सी.डब्ल्यू.पी. नवंबर 22362 आफ 2017 पर दिनांक 29 सितंबर 2017 को पारित आदेशों की गत 9 महीनों से अवहेलना करना एक जीता-जागता उदाहरण है।
न हाईकोर्ट के आदेश की परवाह न सीएम कार्यालय के / Professors Shortage
हरियाणा सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत संयुक्त निदेशक एवं वर्तमान में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एडवोकेट अरूण जौहर ने शनिवार को बताया कि उनकी 56 वर्षीय धर्मपत्नी इला जौहर, जिनका राजकीय महाविद्यालय सैक्टर एक पंचकूला से गत वर्ष उच्चतर शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 12 मई 2017 के द्वारा राजकीय महिला महाविद्यालय, सैक्टर-14, पंचकूला में ट्रांसफर किया गया था, को एक महीने पश्चात ही उच्चतर शिक्षा विभाग, हरियाणा के आदेश दिनांक 12 जून 2017 द्वारा राजकीय महाविद्यालय, बरवाला (जिला पंचकूला) में ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि उनके दोनों घुटनों को बदले जाने हेतु उनका ईलाज हरियाणा सरकार के पंचकूला अस्पताल में 2016 से चल रहा है।
इस सन्दर्भ में जब अरूण जौहर हरियाणा के शिक्षा मंत्री से मिले तो उन्होंने मुख्यमंत्री को एक अनुरोध पत्र भेजा जिसमें उन्होंने प्रौफेसर इला जौहर का ट्रांसफर मेडिकल आधार पर वापिस राजकीय महाविद्यालय सैक्टर एक पंचकूला करने बारे नोट लिखा। जिस पर सीएम के प्रधान सचिव द्वारा 28 जून 2017 को स्वीकृति प्रदान करते हुए उच्चतर शिक्षा विभाग को भिजवा दिया गया। लेकिन विभाग ने एक साल बाद भी सीएम के आदेश की पालना नहीं की।
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