बचत। मात्र एक लाख रूपए में अपने घर की छत पर सौर
ऊर्जा प्लांट लगवा सकते हैं उपभोक्ता | Solar Energy
- लघु सचिवालय में लगे संयंत्र से एक लाख रूपए की बचत
- भिवानी में विभाग के पास 350 ने किया आवेदन
सच कहूँ/इंद्रवेश/भिवानी। ग्रिड सिस्टम पर आधारित सौर ऊर्जा संयत्र (Solar Energy) लगवाने वाले अनेक परिवारों के घर न केवल रोशन हुए हैं बल्कि हर माह हजारों रुपए की बचत से उनके घरों में खुशहाली का नया दौर भी शुरू हुआ है। सौर ऊर्जा संयत्र की स्थापना से नागरिकों को बिजली निगम द्वारा भेजे जाने वाले बिलों से भी निजात मिली है। अधिक बिजली उत्पादन होने व कम लागत से कई लोगों की बिजली अब बिजली निगम की तरफ सरप्लस है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग को मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में एक मेगावाट यानि एक हजार किलोवाट का टारगेट मिला है, जबकि विभाग के पास अब तक 350 किलोवाट तक के आवेदन प्राप्त हुए हैं। नागरिकों के पास सौर ऊर्जा स्थापित करवाने का यह सुनहरा अवसर है। इसके अलावा निजी स्कूल भी अपने शिक्षण संस्थाओं पर ये संयत्र स्थापित करवा सकते हैं, इन पर 30 प्रतिशत की छूट है।
लघु सचिवालय परिसर की छत पर नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा विभाग द्वारा 100 किलोवॉट के सौर ऊर्जा सयंत्र स्थापित किया गया है, जिसका 7 जून कोउपायुक्त अंशज सिंह ने शुभारंभ किया था। यह सयंत्र अब तक करीब एक लाख रुपए की बचत कर चुका है। फिलहाल सोलर पॉवर प्लांट पर एक से दस कि.वॉट पर 55 हजार रूपए प्रति कि.वॉट, 10 से 50 कि.वॉट के पॉवर प्लांट पर 47 हजार रूपए प्रति कि.वॉट और 50 से 100 कि.वॉट के सोलर पॉवर प्लांट पर 46 हजार रूपए प्रति कि.वॉट लागत आती है। इन पॉवर प्लांट 25 वर्ष तक चलते हैं। एक कि.वॉट के प्लांट के लिए दस वर्ग मीटर क्षेत्र की जरूर होती है और चार से पांच वर्ष में इसकी लागत पूरी हो जाती है।
30 फीसद तक मिलती है छूट | Solar Energy
विभाग के परियोजना अधिकारी अनन्त प्रकाश ने बताया कि आम आदमी यदि मकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान पर इस प्रोजेक्ट को लगाता है तो उसको 30 प्रतिशत छूट मिलती है। इसी प्रकार सरकारी भवनों व 500 गज के मकानों पर सोलर पावर प्लांट को स्थापित करवाना जरूरी किया गया है। उन्होंने बताया कि इस सोलर प्लांट से लघु सचिवालय में प्रति दिन करीब 500 से 600 यूनिट की बचत होगी। मौटे तौर पर एक लाख 20 हजार रुपए महीना यानि साल में करीब 14 लाख 40 हजार रुपए की बिल की बचत होगी।
ज्यादा बिजली पर वापस लौटा सकते हैं | Solar Energy
- उपायुक्त अंशज सिंह ने बताया कि ये सयंत्र पावर ग्रिड टाईप हैं।
- इनमें नेट मीटरिंग सिस्टम होता है।
- जरूरत से अधिक बिजली उत्पादन होने पर बिजली पावर ग्रिड को जाती है,
- जो जरूरत होने पर वापस ली जाती है।
- नेट मीटर द्वारा दर्शाए गए बीच के अंतर के हिसाब से बिजली का बिल आता है।
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