इस बार मानसून अच्छा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार इस साल अनुमान से अधिक बरसात हो सकती है। जिसकी शुरुआत हो भी चुकी है। उत्तर भारत व दक्षिण में लगभग सभी राज्य बरसात से भीग रहे हैं। किसानों के लिए यह वरदान है। लेकिन भारत की बढ़ती शहरी आबादी व प्राकृतिक जोहड़ों, नदियों, नालों पर बढ़ रहे अतिक्रमण से साल दर साल यह समान्य बरसात भी बाढ़ की तरह नुक्सान करने लगी है। हालांकि इसमें प्रकृति का कोई कसूर नहीं सब मानवीय गलतियां हैं।
बरसात से अब तक सैंकड़ों मकान ढ़ह चुके हैं व करीब इतने ही लोग घायल हो चुके हैं। इनमें कई दर्जन लोगों की मौत भी हो चुकी है। अगर प्रशासन समय रहते डूबे क्षेत्रों, कच्चे व अवैध मकानों में रहने वालों के लिए मानसून में सुरक्षित ठिकानों का प्रबंध शुरु कर दे तब यह मानवीय हानि शायद रुक जाए। मकानों के ढ़हने के अलावा इन दिनों में जरा सा कूड़ा भी भीगकर बहुत कहर ढ़ाने लगता है।
मलेरिया, हैजा व टाईफाईड इस मौसम की समान्य बीमारियां हैं परंतु गन्दगी व प्रशासनिक ढ़िलाई के चलते ये भी जानलेवा हो जाती हैं। देश में हालांकि सब सुविधाएं हैं परंतु जनता सुस्त व अज्ञान में है। देश की केन्द्र व राज्य सरकारों को देश में नगर नियोजन, स्वच्छता व प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए एक केन्द्रीय नीति लागू करनी होगी।
इस नीति में छोटे से छोटे कस्बों में बसावट व निर्माण को नियंत्रित करना होगा। ताकि नदी, तालाब, झीलें अतिक्रमण से मुक्त हो सकें। फिर आबादी को कचरे के निस्तारण व स्थानीय सरकारों को उसके प्रबंधन में दक्ष बनाया जाए ताकि देश सदा के लिए स्वच्छ बन सके, फिर बरसात व कचरा मिल देश का स्वास्थ्य नहीं बिगाड़ पाएंगे।
नदी, झील, तालाब अगर ये अतिक्रमण से मुक्त होंगे तब देश में बढ़ रही पेयजल की कमी से निजात मिलेगी। अभी तक नगर नियोजन में राज्य सरकारें पूरी तरह से विफल हैं वह अवैध कॉलोनियों को नहीं रोक पाती और चुनाव आने पर अवैध कॉलोनियों को जस का तस नियोजित मान लिया जाता है। आधी-अधूरी कॉलोनियों में स्वच्छता संभव ही नहीं हो पा रही। जल निकासी तो बहुत दूर की बात है। मानसून अच्छा है, इसका जोरदार स्वागत होना चाहिए।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।