बेअदबी के असली गुनहगार कौन?

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पुलिस के दावों ने पुलिस की भूमिका पर खड़े
किए सवाल | Inauspiciousness

पंजाब पुलिस द्वारा वर्ष 2015 में बरगाड़ी में घटित श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की बेअदबी (Inauspiciousness) की घटनाओं के मामले में कोटकपूरा से संबंधित कुछ डेरा श्रद्धालुओं को गिरफ्तार किया गया है। इन गिरफ्तारियों पर पुलिस के दावों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिये हैं। पुलिस दावा कर रही है कि उक्त डेरा श्रद्धालुओं ने श्री गुरुग्रन्थ साहिब की पवित्र बीड़ की बेअदबी की है।

मामले की तह तक जाने की बजाय अंधेरे में तीर मारने की पुलिस ने 2007 की घटनाओं जैसी नीति अपना ली है। पुलिस ने मामले की पेशेवर ढंग से छानबीन करने की बजाय डेरा प्रेमियों को अपन निशाना मान लिया है। 2018 में शायद किसी खास ‘मिशन’ को पूरा करने के लिए वर्ष 2015 की गिरफ्तारियों को पुलिस किनारे कर चुकी है। हालांकि इससे पहले पुलिस स्वयं ही यह संदेह जता चुकी है कि बरगाड़ी कांड, खन्ना में कत्ल किए गए 2 डेरा श्रद्धालुओं व पंजाब के अलग-अलग शहरों में मारे गए आरएसएस, शिवसेना कार्यकर्ताओं के पीछे विदेशी शक्तियां काम कर रही हैैं।

बेअदबी की घटनाओं का डेरा श्रद्धालुओं से कोई संबंध नहीं | Inauspiciousness

दूसरी ओर सोशल मीडिया में कई वीडियो व आॅडियो वायरल हो रही हैं जिनमें सिक्ख धर्म से संबंधित कुछ चर्चित व्यक्ति दावा कर रहे हैं कि बेअदबी की घटनाओं का डेरा श्रद्धालुओं से कोई संबंध नहीं, ये सभी लोग इसे राजनीतिक व धार्मिक साजिश करार दे रहे हैं। इन वायरल हुई वीडियोज से ये तथ्य निकलकर सामने आए हैं कि आखिर पुलिस ने बरगाड़ी घटनाओं में ढाई साल गुजर जाने के बाद डेरा श्रद्धालुओं को अपने निशाने पर क्यों लिया है? यह भी तथ्य है कि पुलिस बरगाड़ी में घटित कांड की गुत्थी न सुलझा पाने के चलते परेशान व घबराई हुई है व उस पर सरकारी गैर-सरकारी दवाब के चलते वह अब किसी न किसी पर बेअदबी की घटनाओं का आरोप मढ़कर अपना पिंड छुड़ाना चाह रही है।

पुलिस की यह हड़बड़ाहट तब भी दिखी थी जब 2015 में वह दो व्यक्तियों को गिरफ्तार करती है लेकिन उनके दोषी होने या न होने पर उलझन में रहती है, आम विरोध होने पर उनको छोड़ देती है। पुलिस की यह रणनीति रही है कि यदि गुनहगार नहीं पकड़ा गया तब अपने पर पड़ रहे दवाब व लोक विरोध से बचने के लिए गुनहगार पैदा कर लो। फिर जांच का डंडा चलाया जाता है जिसमें किसी के गुनहगार न होने पर भी उसे पीट-पीटकर यह मनवाया जाता है कि वह गुनाह कुबूल कर ले। यहां पिटने वाला अकेला नहीं होता कई दफा उसके भाई-पिता भी पिटते हैं।

जबरन गुनाह कबूल करवाना पुलिस का अंग्रेजों के जमाने
से भी पहले का दस्तूर | Inauspiciousness

पीट-पीटकर जबरन गुनाह कबूल करवाना पुलिस का अंग्रेजों के जमाने से भी पहले का दस्तूर है। 2015 में घटित बेअदबी की घटनाओं का जो भी गुनहगार है उसे यह कुकृत्य सबसे आसान काम नजर आया होगा, जिससे पंजाब का शांतिमय माहौल भी बिगड़ जाए और आरोप डेरा प्रेमियों के मत्थे मढ़ कर साफ बच निकला जाए। यह सब एक साजिश के तहत किया गया है पहले डेरा प्रेमियों के नाम पर पोस्टर चिपकाए गए, जिनमें लिखा गया था कि डेरा श्रद्धालु श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी करेंगे।

साजिश कर्ता यह अच्छी तरह जानता था कि किसी को डेरा श्रद्धालुओं पर थोपे गए आरोपों पर यकीन नहीं होगा इसी के चलते साजिशकर्ता ने बेअदबी करने से पहले पोस्टरों के माध्यम से अपना नापाक इरादा पुख्ता करने की भी चाल चली। तब डेरा श्रद्धालुआें ने न केवल उस साजिश का विरोध किया बल्कि उसकी घोर निंदा करते हुए दोषी लोगों के लिए सख्त सजा की मांग भी की। परंतु यहां पुलिस असली गुनहगार को ढूंढने की बजाय साजिशकर्ताओं के बिछाए जाल में उलझकर रह गई है।

डेरा श्रद्धालुओं व सिक्ख समुदाय को अलग-अलग कर
पाना नामुमकिन | Inauspiciousness

कहने का तात्पर्य जो साजिशकर्ता चाह रहे हैं, पुलिस उसी को ही सही साबित करने के लिए डेरा प्रेमियों को फंसाने की दिशा में बढ़ रही है। पुलिस ने बरगाड़ी कांड के बाद प्रदेश के अन्य हिस्सों में घटित बेअदबी की घटनाओं पर हुई गिरफ्तारियों का भी अध्ययन नहीं किया। इनमें से कुछ घटनाओं का कारण गुरुद्वारों में सेवा कर रहे मुलाजिमों की आपसी रंजिश भी रही।

किसी ने गुरुद्वारा मुलाजिम को नीचा दिखाने के लिए या ईर्ष्यावश दु:खद घटनाओं को अंजाम दिया। धर्म या विचारधारा के आधार पर बेअदबी की घटना घटित हुई हो यह कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया। इसके अलावा डेरा श्रद्धालुओं की विचारधारा, भलाई कार्यों से संबंधित गतिविधियां व सामाजिक मेल-मिलाप का संबंध है तब डेरा श्रद्धालुओं व सिक्ख समुदाय को अलग-अलग कर पाना नामुमकिन है। दोनों एक दूसरे के शादी-ब्याह व शोक कार्यक्रमों में पारिवारिक सदस्यों की तरह शिरकत करते हैं।

डेरा श्रद्धालु हमेशा मानवता की सेवा में
रहे हैं आगे | Inauspiciousness

पंजाब से आने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या सिक्ख समुदाय के लोगों की है। जो कि सिक्ख धर्म की मर्यादाओं व संस्कृति से अटूट रिश्ता रखते हैं। बहुत से डेरा श्रद्धालु शादी-ब्याह से लेकर शोक सभाओं तक सिक्ख परिवारों की ही तरह अपने सामाजिक कार्य गुरु ग्रन्थ साहिब की पावन मौजूदगी में पूरे करते हैं। गांव-शहरों के बहुत से गुरुद्वारों के निर्माण व साफ-सफाई में डेरा श्रद्धालु हर तरह से अपना सहयोग करते आ रहे हैं। परंतु कुछ राजनीतिक व गैर राजनीतिक लोगों को डेरा प्रेमी व उनका शांतिपूर्ण जीवन रास नहीं आ रहा।

जिसका प्रमाण 2007 व उसके पश्चात घटित घटनाओं का वक्त है जब डेरा श्रद्धालुओं ने शादी-ब्याह व शोक सभाओं के लिए गुरुद्वारों से गुरु ग्रन्थ साहिब की पावन बीड़ चाही, लेकिन गुरुद्वारा प्रबंधकों ने इन्कार कर दिया। यहां पश्न यह भी है कि कोई गैर सिक्ख क्यों गुरु ग्रन्थ साहिब की बीड़ मांगेगा?

दरअसल वर्ष 2007 की घटनाओं के बावजूद साजिश कर्ताओं को सिक्खों व डेरा श्रद्धालुओं के मध्य कोई कड़वाहट नजर नहीं आई तब ऐसे साजिशकर्ताओं ने पंजाब का माहौल खराब करने के लिए बेअदबी की घटनाओं को अंजाम दिया। लेकिन करोड़ों पंजाबी सब देख रहे हैं। पंजाब पुलिस को चाहिए कि वह हवा में तीर न चलाए बल्कि असली गुनहगारों को सामने लाए, पंजाब का हित इसी में है कि श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की घटनाओं में दूध का दूध व पानी का पानी हो।

 

तिलकराज शर्मा

 

 

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