इन दिनों किसानों ने धान की फसल को लेकर तैयारियां शुरु कर दी हैं। 16 जून से प्रदेशभर में धान की रोपाई का दौर शुरू हो जाएगा। रोपाई से पहले धान के बीज का उपचार किसानों के लिए सबसे जरूरी कार्य है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की नर्सरी बीजने से पहले खेतों में 10-12 गाड़ी कंपोस्ट खाद डालकर मिला दें। खेत तैयार करते समय बत्तर आने पर खेत को 2-3 जुताई करके खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें।
इसके बाद खेत में पानी भरकर कद्दू करें। इसी समय 22 किलो यूरिया व 62 किलो सिंगल सुपरफास्फेट व 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ डालें व सुहागा लगाएं। सुहागा लगाने के 4-5 घंटे बाद जब रेगा बैठ जाए तो पहले से उपचारित व अंकुरित किया हुआ बीज 40-50 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से 2-3 सैंटीमीटर खड़े पानी में बीजेंं। पहले 7-8 दिन पनीरी में बहुत हल्का-हल्का पानी लगायें।
पौध शैय्या में खरपतवार नियंत्रण के लिए बिजाई के 1-3 दिन बाद 600 ग्राम सोफिट या 1.2 लीटर ब्यूटाक्लोर या सेटर्न या स्टा प को 60 किलोग्राम सूखी रेत में मिलाकर अंकुरित धान बोने के 6 दिन बाद प्रति एकड़ नर्सरी में डालें। इससे 50 से 60 प्रतिशत खरपतवारों की रोकथाम हो जाती है। पानी शाम के समय लगाना अच्छा रहता है।
15 दिन बाद खरपतवार निकालकर 22 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालें। अगर पनीरी में लोहे की कमी आ जाती है तो 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट +2.5 प्रतिशत यूरिया का स्प्रे करें। बरसीम वाला खेत धान पनीरी बीजने के लिए अच्छा रहता है। 25-30 दिन में पौध खेत में लगाने योग्य हो जाती है। बासमती किस्मों की रोपाई 15 जुलाई से पहले कर दें। ऐसा करने से बदरा रोग का प्रकोप कम होता है।
रोपाई की विधि
धान की रोपाई जून माह के तीसरे सप्ताह में आरंभ कर लें। रोपाई सही फासले (15 संै.मी. *15 सैं.मी.) पर करें और एक स्थान पर 2-3 पौधे खडे पानी में रोपे। रोपाई के 6-10 दिन बाद पानी रोक दें ताकि पौधों की जड़ें विकसित हो जाएं। छोटी बढ़ने वाली बौनी किस्मों में रोपाई से पहले या कद्दू करते समय 44 किलो यूरिया, 50 किलोग्राम डीएपी या 150 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 40 किलोग्राम यूरेट आॅफ पोटाश एवं 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ तथा लंबी बढ़ने वाली किस्मों में 25 किलो डीएपी या 75 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 10 किलों जिंक सल्फेट प्रति एकड़ रोपाई से पहले कद्दू या लेव करते समय प्रयोग करें।
धान की बौनी किस्मों में 45 किलो यूरिया व लंबी किस्मों में 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ रोपाई के 21 दिन बाद खेत में पानी कम करके छिंटे द्वारा प्रयोग करें। दूसरी मात्रा के समान तीसरी मात्रा रोपाई के 42 दिन बाद करें। इसके बाद फसल में खाद न डालें। यदि फास्फोरस की खाद डीएपी से डाली गई हो तो बौनी धान की किस्मों में 20 किलो (रोपाई के समय)व लंबी धान की किस्मों में 10 किलो यूरिया प्रति एकड़ कम डालें। कल्लर वाले खेतों में 20 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ प्रयोग करें।
बीज का उपचार
भारी व स्वस्थ बीज के चुनाव हेतु 10 प्रतिशत नमक के घोल (10 लीटर पानी में 1 किलो नमक )में बीज को थोडा़-थोड़ा करके डालें। ऊपर तैरते हुए बीज व अन्य पदार्थों को बाहर निकाल कर नष्ट कर दें। नीचे बैठे भारी बीज को साफ पानी से 3-4 बार धो लें, ताकि बीज पर नमक का अंश न रहने पाए और रासायनिक उपचार बीजगत फफूंद व जीवाणुओं के नियंत्रण के लिए करें।
इसके लिए 10 लिटर पानी में 10 ग्राम काबार्नाडाजिम (बैविस्टिन)या 10 ग्राम एमीसान व 1 ग्राम स्टै्रप्टोसाइक्लीन घोल लें और इस घोल में 10-12 किलो बीज को 24 घंटे तक भिगोकर उपचारित करें। इसके बाद बीज को घोल से निकालकर छाया में पकेफर्श या बोरी पर ढ़ेर के रूप में डालें व गीली बोरी से 24-36 घंटे तक ढ़क दें। समय-समय पर पानी छिड़ककर बीज को गीला रखें ताकि अंकुरण हो सके।