भिवानी (सच कहूँ/इंद्रवेश)। स्कूलों का ग्रीष्म अवकाश एक जून से शुरू हो रहा है। ऐसे में बच्चों एवं उनके अभिभावकों का गर्मियों की छुट्टियों में सैर सपाटे के प्रति रूझान बढ़ जाता है। अभिभावक भी बच्चों को तरोताजा करने के लिए किसी पवर्तिय प्रर्यटक स्थल या फिर धार्मिक स्थलों के दर्शन को ले जाना चाहते हैं। लेकिन इस बार ट्रेन में सफर कर सैर सपाटा करने के इच्छुक लोगों को रेलगाड़ी ने निराश कर दिया हैं, क्योंकि हिल स्टेशन तक जाने वाली अधिकांश ट्रेनों में महीनों पहले ही सभी सीटें बुक हो चुकी हैं। बुकिंग में फूल चल रही इन ट्रेनों में अब ताजा टूर प्रोग्राम बनाने वाले अभिभावकों को हवाई एवं सड़क का महंगा सफर करना पड़ेगा। जो लोग रेलगाड़ी से अपने पसंद के स्थानों पर पहुंचना चाहते हैं उनकी परेशानी इस बार कुछ अधिक ही बढ़ी हुई नजर आ रही है।
भूवनेश्वर को जाने वाली 22812, 22824 राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में प्रतीक्षा सूची 22 जून तक 300 से ऊपर है। इसी प्रकार पुरी को जाने वाली 12802 पुरूषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन, 12816 नंदन कामन एक्सप्रेस, 12876 निलांचल एक्सप्रेस में भी 19 जून तक प्रतीक्षा सूची ढाई सौ से अधिक दिखाई दे रही है। उज्जैन को जाने वाली 14310 उज्जैनी एक्सप्रेस की प्रतीक्षा सूची भी 142 से ऊपर है। पुरी को जाने वाली 18478 कलिंग उत्कल एक्सप्रेस की प्रतीक्षा सूची भी 200 से अधिक है। हिसार से जम्मूतवी को जाने वाली 19027 विवेक एक्सप्रेस सप्ताह में एक दिन रविवार को चलती है। इस गाड़ी में तो प्रतीक्षा सूची इतनी लम्बी है कि उसमें स्थान पाना असंभव है। 19415 अहमदाबाद कटरा एक्सप्रेस साप्ताहिक गाड़ी है, इसमें भी प्रतीक्षा सूची 200 से अधिक है।
हिमाचल प्रदेश के उना को जाने वाली उना हिमाचल जन शताब्दी में भी प्रतीक्षा सूची काफी लम्बी है। पर्वतीय क्षेत्र में जाने वाली 14041 मंसूरी एक्स्रपेस, 12017 देहरादून शताब्दी, 12055 जन शताब्दी एक्सप्रेस में भी 25 जून तक कोई स्थान नहीं है। प्रतीक्षा सूची इतनी लम्बी है कि यदि अब कोई टिकट लेता है तो पूरा जून माह समाप्त होने के बाद भी सीट मिलना मुश्किल है। विवेक एक्सप्रेस को छोड़कर सभी गाड़ियां दिल्ली जंक्शन, हजरत निजामुद्दीन व नई दिल्ली से ही चलती हैं। इसके अलावा इलाहाबाद को जाने वाली 12418 प्रयाग राज एक्सप्रेस, 14218 उचाहार एक्सप्रेस में भी प्रतीक्षा सूची काफी लम्बी है। दिल्ली से जम्मू कटरा, पटानकोट आदि को जाने वाली रेलगाड़ियों में भी प्रतीक्षा सूची काफी लम्बी है। इस बार अन्य सालों की तुलना में गर्मी का रूप प्रचंड है। इसलिए भी ठंडे इलाकों की तरफ जाने वाली रेलगाड़ियों में प्रतीक्षा सूची काफी लम्बी हो गई हैं।
अगले 10 दिन तक नहीं राहत की उम्मीद
मौसम के जानकारों का मानना है कि अगले दस दिनों तक किसी प्रकार की राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती। अभिभावकों की सोच शायद यह है कि मानसून आने तक वे अपने लाडलों को पहाड़ी क्षेत्रों में घुमा लाएं, ताकि गर्मी का अधिकांश दौर गुजर जाए और जब लौटे तब बारिश की रिमझिम फुहार किसी हद तक लगाम लगा चुकी होगी। लेकिन ऐसा फिलहाल रेल यात्रा करने वालों के लिए केवल स्वप्र बन गया है।
हवाई सफर भी 30 से 45 फीसद तक महंगा
ग्रीष्म अवकाश पर छुट्टी का प्रोग्राम बनाने वाले अभिभावकों की ट्रेन से उम्मीद छूट गई तो बाई एयर हिल स्टेशनों तक जाने का प्रोग्राम बनने लगा। लेकिन पर्यटकों की अधिक तादाद की वजह से हवाई सफर भी काफी महंगा हो गया। इस बारे में ट्रेवल एजेंसी संचालक सुनील चावला का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों के लिए हवाई यात्रा के लिए जो राहत एक पखवाड़े पहले तक थी, उसकी तुलना में टिकट अब 30 से 45 प्रतिशत महंगी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा के लिए भी लोगों ने टिकट की बुकिंग शुरू में सस्ती दरों पर करवाई थी, लेकिन जैसे जैसे समय निकट आता जा रहा हैं, ये हवाई टिकटें भी महंगी होती जा रही हैं।