जिनेवा (एजेंसी)। विश्व में हर साल तंबाकू उत्पादों से सत्तर लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है और 30 लाख लोग इसके कारण दिल की बीमरियों तथा लकवे का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आज यह जानकारी दी। डब्ल्यूएचओ ने आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस(नो टौबेको डे) के मौके पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि धूम्रपान करने वाले लोग तो इससे होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर मारे जाते हैं लेकिन ये लोग आस पास धुआं छोड़ते हैं तो इसके संपर्क में आकर लोग भी अपनी जान गवां रहे हैं।
इस तरह के सेकंड हैंड एक्सपोजर से मरने वालों का आंकड़ा 890,000 है। डब्ल्यूएचओ ने तंबाकू उत्पादों और ध्रूमपान के खतरों से लोगों को अवगत कराने के लिए 2005 में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसका अनुमोदन 180 देशों ने कर दिया है। इसमें तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन और प्रायोजकता पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी।
डब्ल्यूएचओ के अंसचारी रोग विभाग के निदेशक डगलस बैचर ने बताया कि इस मुहिम के अच्छे परिणाम सामने आए हैं और 2000 में जहां विश्व की कुल आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा तंबाकू उत्पादों का सेवन करता था वहीं यह 2016 में घटकर 20 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना है और सबसे अधिक दिक्कतें निम्न और मध्य आय वाले देशों में आ रही हैं जहां तंबाकू लाबी इतनी ताकतवर है कि वे अपने उत्पादों के प्रचार के लिए किसी भी तरह के हथकंडे अपनाने को तैयार रहती हैं।
ये कंपनियां अपने उत्पादों का प्रचार गलत तरीके से करती हैं और इनका लक्ष्य युवा वर्ग होता है जिसके लिए ये उत्पादों की कीमत कम रखती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रति वर्ष तंबाकू उत्पादों के सेवन से सत्तर लाख से अधिक लोग मारे जा रहे हैं और इनमें से अधिकांश को पता होता है कि धूम्रपान कैंसर का एक बड़ा कारण है लेकिन फिर भी ये इनके दुष्चक्र में फंस जाते हैं। विश्व में धूम्रपान करने वालों की संख्या 1़ 1 अरब है जिनमें चीन में 30़ 7 करोड़ लोग और भारत में 10़ 6 करोड़ लोग इसके जाल में फंसे हुए हैं।