सरसा (संदीप कम्बोज)। अब तक आपने राजनीतिक या गैर राजनीतिक संगठनों के भारत या किसी राज्य के बंद के दौरान सिर्फ शहरों में ही बाजार बंद होते देखे होंगे, लेकिन अब गांवों में भी इसकी झलक देखने को मिलेगी। इस आंदोलन में न तो हिंसा होगी न बाजार बंद होंगे वो भी एक दिन या कुछ घंटों के लिए नहीं, बल्कि पूरे दस दिन तक गांव बंद रहेंगे। यदि 10 दिन तक गांव बंद रहते हैं तो शहरवासियों को समस्या आना लाजिमी है। तो इसलिए सभी शहरवासी आज व कल तक अगले 10 दिनों के लिए दूध, सब्जीयों व फलों आदि का इंतजाम कर लें क्योंकि बाद में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने समेत किसानों से जुड़े अनेक मुद्दों पर एक जून से देश भर में किसान संगठनों द्वारा शुरू किया जा रहा यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन अपने आप में अनोखा होगा क्योंकि न ही तो गांवों के बाजार खुलेंगे और न ही शहरों में आवाजाही होगी। गांवों से शहरों को जाने वाले दूध, सब्जी, फलों की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी।
देश में पहली बार होने जा जा रहे इस ‘गांव बंद’ आंदोलन को सफल बनाने को लेकर हर राज्य के किसान संगठनों ने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही चंडीगढ़ में देश के बड़े किसान संगठनों की बैठक हुई है, जिसमें किसानों की मांगों पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए एक से दस जून तक गांव बंद करने का फैसला लिया गया। इस फैसले के बारे में सभी राज्यों के किसान संघों द्वारा गांव-गांव, घर-घर जाकर किसानों को अवगत कराया जा रहा है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में भी एक से दस जून तक गांव बंद की तैयारियां चल रही हंै।
केवल बाजार बंद, रोड जाम नहीं
गांव बंद के दौरान बाजार बंद रखे जाएंगे। किसी को परेशानी ना हो, इसके लिए सड़क व यातायात मार्ग नहीं रोका जाएगा। इस दौरान दूध-अनाज व सब्जियों की बिक्री बंद रखी जाएगी। शहरों से किसी भी तरह की खरीदारी नहीं की जाएगी। शीतल पेय पदार्थों का बहिष्कार किया जाएगा। इसके अलावा शहर से दवाइयों को छोड़ अन्य वस्तुओं की खरीद भी किसानों द्वारा नहीं
की जाएगी।
ट्विटर से शुरू हुई मुहिम जनआंदोलन में बदली
पूर्ण कर्जमाफी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत का डेढ़ गुना तय करने की मांगों को लेकर किसानों द्वारा एक जून से 10 जून तक बुलाए गए गांव बंद आंदोलन की शुरूआत सोशल साईट ट्विटर से हुई जो कि कुछ ही घंटों में टॉप ट्रेंडिंग में पहुंच गई। किसानों ने सबसे पहले ट्विटर पर ही ऐलान किया है कि पहली जून से दस जून तक ‘ग्राम बंद’ का आयोजन किया जाएगा।
इस दौरान गांव से शहर को दूध, सब्जी आदि की सप्लाई नहीं की जाएगी। इस मुहिम के लिए ट्विटर पर देशभर से लाखों युवा किसानों ने खूब ट्वीट किए हैं। किसान नेताओं ने ट्वीटर पर लिखा है कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें किसानों की लगातार अनदेखी कर रही हैं। गांव बंद के दौरान किसान गांव में ही मौजूद रहेंगे, लेकिन इस दौरान दूध के साथ फल, सब्जियों और खाद्यान्न की बिक्री नहीं की जाएगी। किसानों ने ट्विटर पर फसलों की बबार्दी से जुड़ी अखबारों की खबरें और तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। ट्वीट करने वालों में वेस्ट यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु के किसान भी हैं।
यह हैं किसानों की मुख्य मांगें
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना
- किसानों की कर्जा मुक्ति
- सुनिश्चित आय
- किसान सब्सिड़ी को बहाल करना
- फसलों का उचित समर्थन मूल्य तय करवाना
- सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाई जाएं