भट्टों पर गरीब बच्चों को ज्ञान बाट कर जीवन संवार रहे डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी
रादौर (सच कहूँ-लाजपतराय)। सपने हर किसी की आंखों में होते हैं, कोई पढ़-लिखकर डॉक्टर बनाना चाहता है तो इंजिनीयर, अध्यापक या वकील। लेकिन बदकिस्मती और आर्थिक हालात कमजोर होने के कारण देश के अधिकतर मासूमों के सपने टूट जाते हैं और यदि कोई इनके सपनों को साकार करने का बीड़ा उठा ले तो उसे फरिश्ता कहे तो गलत नहीं होगा। ऐसे ही गरीबों बच्चों के सपनों को उठान देने का काम पिछले 10 सालों से रादौर ब्लॉक के डेरा अनुयायी कर रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षा पर चलते हुए इंजि. कॉलेज के ये विद्यार्थी क्षेत्र के कई र्इंट-भट्ठों पर पाठशाला चलाकर बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं।
दिल्ली इंजीनियर कॉलेज के छात्र बोले, बे-मिसाल है डेरा अनुयायियों द्वारा किए जा रहे मानवता भलाई कार्य
डेरा अनुयायियों की मेहनत व लगन को देखकर अब अन्य विद्यार्थी भी बच्चों को शिक्षित करने की मुहिम में कदम बढ़ाने लगे हैं। दिल्ली से आए इंजि. के विद्यार्थियों ने इन पाठशालाओं में बच्चों को अपनी ओर से पाठ्य सामग्री भेंट की। छात्र आशीष, तनुज, राहुल, सुधीर राघव, राजेश, अनुज, अर्पित, सुखविन्द्र, विकास, साहिल, सचिन, जयप्रकाश, मोनिका, शालू, वैशाली, परमवीर ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा विश्व में मानवता भलाई को जो कार्य कर रहा है वो कोई संस्था नहीं कर सकती है। डेरा अनुयायी इन बच्चों को जो शिक्षित करने का काम रहे हैं वो सराहनीय है।
जब हमारे बच्चे अंग्रेजी बोलते हैं तो अच्छा लगता है बाबू जी!
बाबू जी! हम तो पढ़ नहीं पाए। अगर स्कूल गए होते तो आज दो जून की रोटी के लिए मजदूरी न करते। हमें अकसर चिंता सताती थी कि हमारी तहर हमारे बच्चों का भविष्य भी खराब न हो जाए। लेकिन धन्य हैं ये डेरा सच्चा सौदा के सेवादार जो हमारे बच्चों को शिक्षित कर उन्हें इस काबिल बना रहे हैं कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर कुछ बन सकें। अपने बच्चों को अंगे्रजी में बोलता देख हमें बहुत अच्छा लगता है। ये कहना है नाथीराम भट्ठे पर काम करने वाले अभिभावक हरिलाल, कन्हिया, लाल बाबू, राज चौहान, मनोज, प्रकाश व सुनील का। वहीं भठ्ठा मालिक रमेश बंशल व मुनीम नाथीराम ने भी डेरा अनुयायियों की इस मुहिम की भरपूर सराहना की।