अमृतसर (सकब) गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के साथ संबंधिक कंसीट्यूट कालेजों के एडहाक अध्यापकों पर विश्वविद्यालय ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यह शिकंजा उन एडहाक अध्यापकों पर कसा जा रहा है जो अध्यापक विश्वविद्यालय के खिलाफ अदालत में गए थे। उधर अदालत ने विश्वविद्यालय प्रबंधकों को 28 मई को जवाब देने के लिए नोटिस आफ मोशन जारी कर दिया है। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने पूर्व वीसी डा एएस बराड के कार्यकाल के दौरान जीएनडीयू के साथ संबंधित विभिन्न कालेजों में ठेका प्रणाली के आधार पर 600 से अधिक एडहाक अध्यापक भर्ती किए थे, जिनको 35000 रुपये वेतन दिया जाता था। परंतु बाद में नीतियों को बदलते हुए विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इन अध्यापकों को पीरियड स्तर पर वेतन देना शुरू कर दिया।
इस के चलते अध्यापकों का वेतन प्रति माह करीब 18 हजार रुपये रह गया। एडहाक अध्यापकों में करीब 120 अध्यापक अपनी सेवाएं पक्की करवाने के लिए पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में चले गए। क्यों कि विश्वविद्यालय ने आश्वासन दिया था कि उनकी सेवाएं रेगुलर की दी जाएंगी उलटा अध्यापकों का वेतन कम कर दिया गया। इस के चलते अध्यापकों में रोष बढ़ गया। मामले के संबंध में विश्वविद्यालय के डीन कमलजीत सिंह कहते हैं कि ठेके पर रखे अध्यापकों को भर्ती ही कांट्रेक्ट सिस्टम के तहत किया गया था। भर्ती के समय यह कोई भी शर्त नहीं रखी गई थी कि अध्यापकों को पक्का किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब भी जिन पदों का विज्ञापन जारी किया गया है उस में कर्मचारियों को सिर्फ ठेके पर ही रखा जाएगा। कुछ लोग नियमों के खिलाफ सेवाएं रेगुलर करने के लिए अदालत में गए है।