नयी दिल्ली (वार्ता)। अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले से पिछले एक सप्ताह से उठे विवाद के बीच विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज स्पष्ट किया कि सरकार शीर्ष अदालत के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। श्री प्रसाद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में लिये गये फैसलों के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब में बताया कि यह फैसला काफी दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार ने इसका संज्ञान लिया है। विधि एवं न्याय मंत्रालय से शीर्ष अदालत के आदेश का अध्ययन कर इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले दिनों यह आदेश दिया था कि अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के क्रियान्वयन के मामले में आरोपी को तुरंत सीधे गिरफ्तार करने और आपराधिक मामले दर्ज करने की बजाय पहले मामले की प्राथमिक जाँच की जाये और सक्षम अधिकारी की अनुमति से ही गिरफ्तारी हो।
इससे पहले बुधवार को लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान और भारतीय रिपब्लिकन पार्टी (ए) के प्रमुख एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने भी सरकार की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कर कहा था कि कानून मंत्रालय न्यायालय के फैसले का अध्ययन करा रहा है और जल्दी ही पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। बुधवार को ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अनुसूचित जाति एवं जनजाति से जुड़े मंत्रियों और सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। प्रतिनिधििमंडल में श्री पासवान और श्री आठवले के साथ ही केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत, जुएल उरांव, अर्जुन राम मेघवाल, विजय टमटा, विजय सांपला तथा कई अन्य सांसद शामिल थे। विपक्षी नेताओं ने भी बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की माँग की थी।