यह कहना कोई गलत नहीं होगा कि देश में सरकार की सफलता की कसौटी उत्तम शासन-प्रशासन नहीं बल्कि चुनाव या उपचुनाव जीतना बन गया है। पार्टियां चुनाव जीतने के लिए तो सारा जोर लगा देती हंै लेकिन शासन-प्रशासन की तरफ किसी का ध्यान नहीं होता। नेताओं में यह भी सबसे बड़ी विशेषता रहती है कि वह बयानबाजी पर ज्यादा जोर देते हैं। इस मुकाबले में सभी राजनैतिक दल एक दूसरे को हराने के लिए कोई मौका नहीं गंवाते। इन्हीं कारणों के चलते सत्तापक्ष के नेताओं के पास रोजाना हो रहे घोटालों को रोकने कोई का समय नहीं बच रहा। भ्रष्टाचार के नए-नए चेहरे सामने आ रहे हैं। ललित मोदी, विजय माल्या के नाम तो लोगों को भूलते जा रहे हैं। अब तो नाम ही इतने ज्यादा हो रहे हैं कि लोग किस-किस का नाम याद रखें।
नीरव मोदी, मेहुल चौकसी देश को लूटकर इंग्लैंड में जा बैठे हैं, तो अब कमीशन गोल्ड कंपनी का मालिक भूपेश जैन 14 बैंकों के साथ 1000 करोड़ का घोटाला करने के बाद मॉरीशस में जा बैठा है। देश को लूटकर पुलिस की पकड़ में आने से पहले भाग निकलो, यह खेल आसान हो गया है। धोखाधड़ी करने वालों को बचने व भागने का पूरा मौका मिल रहा है। ठगों को पता है कि देश में ऐसा कोई ठोस प्रबंध नहीं कि उन्हें विदेशों से वापिस खींच लाया जाए। सत्तापक्ष सहित विपक्षी दलों को 2019 के चुनावों की चिंता है। पार्टी में छोटी-छोटी कमजोरियों को दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की कमजोरी भुला दी गई है।
विदेशी निवेशकों की नजर में इन घोटालों ने देश को शर्मसार किया है। यदि यही हाल रहे तब भारत में कोई भी निवेशक निवेश नहीं करेगा। देश को केवल हथियारों का बड़ा खरीददार नहीं बनाया जाए बल्कि इसे आर्थिक स्थायीत्व व ईमानदार देश भी बनाना है। सीमाओं पर जानें न्यौछावर कर देश की सुरक्षा करने का फायदा तब होगा यदि उन जवानों की कुर्बानियों से बचा पैसा देश के विकास के लिए काम आ सके। देश के खजाने को भी बचाने के लिए सीमाओं की सुरक्षा जैसा जज्बा हो। विदेशी हमलों की बजाए ज्यादा दर्दनाक हमला, आंतरिक ठगों का है। ठग भी देश के दुश्मन हैं। देश का कानून अगर चीन की तरह इन्हें फांसी पर नहीं लटका सकता, कम से कम इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए, पैसा ब्याज सहित वसूला जाए और कड़ी सजा भी होना चाहिए। खुशहाली का सपना पूरा करने के लिए धोखाधड़ी रोकनी होगी।