नयी दिल्ली (वार्ता)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित बदसलूकी मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक प्रकाश जारवाल की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर सात मार्च तक जवाब देने को कहा है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने आज प्रकाश जारवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह सात मार्च तक इस घटना की स्थिति रिपोर्ट पेश करे।
इससे पहले तीस हजारी अदालत से प्रकाश जारवाल की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। देवली से विधायक प्रकाश जारवाल और ओखला से विधायक अमानतुल्ला खां को मुख्य सचिव के साथ कथित बदसलूकी मामले में दिल्ली पुलिस ने विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार किया। दोनों विधायक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं। जरवाल को 20 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। तीस हजारी अदालत ने प्रकाश जारवाल की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि 56 वर्ष के नौकरशाह के “ सम्मान का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन हुआ है।’’
प्रकाश जारवाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका ए जान न्यायालय में हाजिर हुई। अधिवक्ता की दलील थी कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है इसलिए आरोपी को हिरासत में रखने की और कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि घटना के अगले दिन अपराह्न एक बजे इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी। यह मामला 19 फरवरी की मध्य रात्रि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास का है।
अधिवक्ता ने कहा कि घटना के काफी देर बाद प्राथमिकी दर्ज कराने से स्पष्ट नजर आता है कि इसे बाद में गढ़ा गया और यह झूठ से प्रेरित है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने पुराने मामलों में शामिल होने की बात कहकर विधायक की गलत छवि पेश की। यह मामले राजनीति से जुड़े हुए हैं। इनको या तो निरस्त कर दिया गया है अथवा ये अभी तक साबित नहीं किये जा सके हैं। विधायक की जमानत का अनुरोध करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि वह विधायक हैं और कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं।