सरसा। पूज्य गुरु संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि जो जीव सत्संग में चलकर आता है, उसके जन्मों-जन्मों के पार्प-कर्म खत्म हो जाया करते हैं। सच वो अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब है और संग उसका मालिक की भक्ति-इबादत करके उस सच का साथ करना है। इन्सान जैसा संग करता है, उस पर वैसा रंग चढ़ता जरूर है परंतु यह बहुत जरूरी है कि इन्सान बुरा संग न करे। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि कहीं भी, कोई किसी को बुरा कहता हो, चुगली-निंदा, बुराई गाता हो, जहां तक संभव हो किनारा कर जाओ।
मजबूरीवश कहीं पर सुनना पड़ता है तो पांच-सात मिनट सुमिरन करो। मालिक से दुआ करो कि मालिक मुझे इस पाप-कर्म से बचाओ। फिर जो करेगा वो ही भरेगा, आपको कुछ नहीं होता। जहां तक हो इन्सान को अच्छे लोगों का संग करना चाहिए। जितना भी आप अच्छाई, भले पुरुषों का संग करोगे, आपके दिलो-दिमाग में मालिक के प्यार-मोहब्बत की लगन लगेगी। उसकी कृपा-दृष्टि के आप काबिल बनेंगे। उसकी दया-मेहर, रहमत बरसेगी और आप तमाम खुशियों के हकदार बनते जाएंगे।