डेरा सच्चा सौदा का महिला उत्थान में योगदान
सरसा। इन दिनों डेरा सच्चा सौदा के प्रति तरह-तरह की मनघड़ंत खबरें दिखा कर मीडिया के एकपक्ष द्वारा आम जन के मन में इस संस्था के प्रति नफरत का भाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। देश नहीं विदेश बल्कि पूरी दुनिया तक डेरा सच्चा सौदा के मानवता भलाई कार्यांे की मिसाल दी जाती है। इस संस्था ने ऐसी प्रथाएं और रस्में चलाई हैं जिससे समाज में नए और क्रांतिकारी बदलाव शुरू हुए हैं। इन क्रांतिकारी बदलावों में से एक है वेश्यावृत्ति में फंसी लड़कियों को बेटी बना कर उनका घर बसाने की।
बिल्कुल सही पढ़ा आपने। आज तक समाज में वेश्या शब्द एक गाली था। लेकिन डेरा सच्चा सौदा के पूज्य संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने इन मजबूर बेटियों की पुकार सुनी और इनकी जिंदगी सुधारने का बीड़ा उठा लिया। 9 नवंबर 2009 का दिन इतिहास में दर्ज है जब डेरा सच्चा सौदा में किसी वेश्या को ‘शुभ देवी’ का नाम देकर उसकी शादी करवाई गई। पूज्य गुरू जी ने इस लड़की को अपनी बेटी के रूप में स्वीकारा और उसकी शादी अपने हाथों संपन्न करवाई। डेरा सच्चा सौदा के आंगन से करोड़ों लोगों की मौजूदगी में ‘शुभ देवी’ को उसके ससुराल विदा किया गया। पूरी दुनिया में इस नई ऐतिहासिक पहल का दिल खोल कर स्वागत किया गया। वहीं इन लड़कियों से शादी करवाने के लिए आगे आए लड़कों को पूज्य गुरू जी ने ‘भक्तयोद्धा’ के नाम का खिताब दिया।
- पूज्य गुरू संत डॉ. रमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पहल से मिला समाज में सर उठाकर जीने का हक
- 9 नवंबर 2009 को हुई ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत
इस तरह हुई ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत
इस क्रांतिकारी कार्य की शुरूआत पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 9 नवंबर 2009 को शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा, यूपी में आयोजित पावन भंडारे के अवसर पर एक मीडियाकर्मी के आह्वान पर की। जैसे ही पूज्य गुरु जी ने साध-संगत से भरे खचाखच पंडाल में वेश्याओं (शुभदेवियों) के जीवन में सुधार के ऐतिहासिक कार्य की शुरूआत का आह्वान किया तो सहमति में एक साथ लाखों हाथ खड़े हो गए तथा सभी ने इस कार्य में सहयोग का प्रण लिया। पूज्य गुरू जी के आह्वान पर 1500 से भी अधिक नौजवान वेश्यावृति छोड़कर समाज की मुख्यधारा में आने वाली युवतियों से शादी करने को तैयार हो गए। बहुत से युवा इन्हें अपनी बहन बनाकर विदा करने वालों में भी शामिल हैं जिनकी तादाद भी लाखों में है।
शुभ देवियों से शादी के लिए आगे आए हजारों नौजवान, 19 शादियां हुई संपन्न
9 नवंबर 2009 के बाद से पूज्य गुरू जी के एक आह्वान पर सैकड़ों नौजवान इन शुभदेवियों से शादी करने को तैयार हो गए। पूज्य गुरू जी ने इन यवुाओं को ‘भक्तयोद्धा’ के पावन खिताब से नवाजा। और इसके साथ ही शुरू हो गया विवाह बंधन में बंधने का सिलसिला। पूज्य गुरू जी की पावन प्रेरणा से अब तक करीब 19 नौजवान, शुभदेवियों को अपनी जीवनसंगिनी बना चुके हैं। यही नहीं कई नौजवानों ने तो इन शुभदेवियों के विवाह पूर्व के बच्चों को भी अपनी संतान के रूप में अपनाया है। पूज्य गुरू जी के एक आह्वान से इनकी जिंदगी का दस्तूर ही बदल गया तथा आज वे परिवारों का हिस्सा हैं तथा हंसी-खुशी जीवन यापन कर रहे हैं।