आक्रामकता ही सफलता और किसी को परास्त करने या फिर उसे आईना दिखाने का हथियार है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ में जो आक्रामकता दिखायी है, वह निश्चित तौर पर न केवल जरूरी था, बल्कि पाकिस्तान को शर्मसार करने और उसकी आतंकवादी मानसिकता को जमींदोज करने के लिए वीरतापूर्ण कूटनीति का प्रदर्शन भी था। पूरी दुनिया ने न केवल भारत की वीरतापूर्ण कूटनीति को देखा, बल्कि पाकिस्तान को यह अहसास करा दिया कि अब तुम्हारी आतंकवादी नीति के खिलाफ कोई समर्थन देने के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान की बड़ी कोशिश थी कि वह भारत को परेशानी में डाले और कश्मीर के प्रश्न पर भारत को दुनिया के सामने अलग-थलग करे।
सुनिश्चित तौर पर पाकिस्तान का यह कदम विफल साबित हुआ, साथ ही उसे अपने कदम को लेकर शर्मसार भी होना पड़ा। और दुनिया की निगाहों में वह आतंकवादी देश भी साबित हुआ है। भारत ने पाकिस्तान को जो ‘टेररिस्तान’ की संज्ञा दी है, वह बहुत ही जरूरी था। जाहिर तौर पर पाकिस्तान न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में आतंकवाद का निर्यात करता है। क्या यह सही नहीं है कि ओसामा-बिन-लादेन पाकिस्तान में बैठकर आतंकवाद को सक्रिय करता था? क्या यह सही नहीं है कि अमेरिका ने पाकिस्तान की धरती पर हमला कर ओसामा-बिन-लादेन का मार गिराया था?
और कितने प्रमाण चाहिए पाकिस्तान को आतंकवादी देश प्रमाणित कराने के लिए? फिर वह अपने-आपको आतंकवाद से लड़ने वाला देश बताता है! आतंकवाद से लड़ने के लिए अमेरिका और यूरोप से डॉलर और पौंड वसूलता है। पर अब धीरे-धीरे पाकिस्तान अपनी आतंकवादी नीति में खुद फंस रहा है और दुनिया की मार उस पर पड़ रही है। लेकिन भारत में कुछ खास किस्म के विचारधारा के लोगों को भारत की कूटनीतिक वीरता और आक्रामकता पंसद नहीं आयी। समझ नहीं आ रहा कि ऐसे लोग किस विचारधारा के पोषक हैं? इनकी सक्रियता किस संप्रभुता को लेकर है?
ऐसे लोग अपनी ही संप्रभुत्ता को कठघरे में क्यों और किसलिए खड़ा करते हैं? खासकर कम्युनिस्ट और राष्ट्र की परिधि से अपने-आपको मुक्त बताने वाले तथा पाकिस्तान-अरब के पैसों पर पलने वाले तथाकथित पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और एक्टविस्टों का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया। ऐसी परिधि में कैद लोगों का कहना है कि यह भारत की सबसे बड़ी घटिया कूटनीति है। पड़ोसी देश को टेररिस्तान कहना अच्छी बात नहीं है! भारत ने अपने-आपको एक घटिया और खलनायक देश के रूप में खड़ा किया है! ऐसी परिधि के लोगों ने भारत की आलोचना के लिए सोशल मीडिया को हथकंडे के तौर पर प्रस्तुत किया। ऐसी परिधि के लोग हमेशा से भारत विरोधी और पाकिस्तान पक्षी सक्रियता दिखाने के लिए कुख्यात रहे हैं।
ऐसे में गुलाम फई प्रकरण भी याद करना चाहिए। गुलाम फई ने अपने पैसों की ताकत पर भारतीय पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों और भारतीय सक्रियताओं के ईमान और आत्मा खरीदी थी। गुलाम फई पाकिस्तान का मोहरा था, जो अमेरिका में रहता था। फई के निमंत्रण पर ऐश करने अमेरिका जाने वाले भारतीय पत्रकार, लेखक, साहित्यकार और सक्रियतावादी पाकिस्तान के पक्ष में और भारत के विरोध में राय प्रकट करते थे और प्रस्ताव पारित कराते थे। ऐसी परिधि के लोगों ने भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राईक को भी निशाना बनाया था।
सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि जब पाकिस्तान की तरफ लोकहर्षक हमले होते हैं, पाकिस्तान पोषित और निर्देशित आतंकवादी जब भारत को आतंकवाद का शिकार बनाते हैं, तब ये चुप्पी साध लेते हैं। पर जैसे ही भारत बदला लेने के लिए कदम बढ़ाता है, तब फिर ये शांति-शांति चिल्लाने लगते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, पाकिस्तान के अन्य पड़ोसी देशों ने किस प्रकार से पाकिस्तान की खिंचाई की है, यह भी देख लीजिये। ऐसे देशों में मुस्लिम देश भी है। भारत ने पाकिस्तान को टेररिस्तान कहा तो अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को ‘आतंकवाद का घर’ कहा है। बांग्लादेश ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का वह भी शिकार है।
अब चीन की बात करते हैं, चीन वर्षों से पाकिस्तान का पक्षधर है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का वह समर्थन करता रहा है। अब चीन ने भी पाकिस्तान का साथ छोड़ दिया है। चीन ने कहा कि कश्मीर प्रश्न को पाकिस्तान आपसी वार्ता कर सुलझाये। यानी चीन कश्मीर पर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर समर्थन नहीं देगा। अमेरिकी राष्टÑपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ कह दिया है कि सुधरो या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो। इसी संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने बहुत जोर लगाया थी कि डोनाल्ड ट्रम्प कुछ मिनटों का समय मिलने के लिए दे दें। पर डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को मिलने का अवसर तक नहीं दिया। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि मुस्लिम दुनिया के मंच पर भी अब पाकिस्तान को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र संघ में जो आईना दिखाया है, वह पाकिस्तान के लिए बेहतर और विकासन्मुख भी हो सकता है। सुषमा स्वराज ने दृढ़ता से कहा कि हमारा विकास दुनिया देख रही है। हमारे नौजवान दुनियाभर में अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं। हमने डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, समाजशास्त्री पैदा किये हैं, जो अपने ज्ञान-विज्ञान से मानव की सेवा करते हैं। परंतु पाकिस्तान ने क्या पैदा किया है! पाकिस्तान ने आतंकवादी पैदा किये हैं, हमलावर पैदा किये हैं, हिंसक लोग पैदा किये हैं, अमनावीय लोग पैदा किये हैं।
अगर भारत की तरह पाकिस्तान ने भी अपने यहां आतंकवाद और हिंसा रोकी होती है, अहिंसा को बढ़ावा दिया होता, तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि दुनिया के सामने वह घृणा और उपहास का विषय नहीं होता। लेकिन अभी पाकिस्तान सुधरने के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान की सेना ऐसी वैश्विक घृणा और उपहास को देखकर कोई सबक लेगी और अपने-आपको सुधार लेगी, यह कहना मुश्किल है। भारत को हमेशा आक्रामकता के साथ पलटवार करना चाहिए, तभी पाकिस्तान को उसकी अपनी औकात का अहसास होता रहेगा।
-विष्णुगुप्त