महान योद्धा की विदाई

Farewell, Warrior, Arjan Singh

भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह भारत के बुलंद हौंसले, बहादुरी, देश भक्ति और सम्मान के प्रतीक हैं। अर्जन सिंह हमेशा एक युद्ध नायक के रूप में याद किए जाएंगे, जिन्होंने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी, जो भारतीय सेना की भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत व गौरवमयी बना रहेगा। अर्जन सिंह देश के इकलौते ऐसे वायुसेना अधिकारी थे, जो पदोन्नत होकर पांच सितारों वाली रैंक तक पहुंचे थे। यह रैंक थलसेना के फील्ड मार्शल के बराबर होती है। अर्जन सिंह पहले ऐसे अिधिकारी हैं जिनके जीते-जी किसी एयरबेस का नाम उनके नाम पर रखा गया। उन्होंने इस बात को सिद्ध कर दिया था कि युद्ध केवल हथियारों से ही नहीं बल्कि बुलंद हौसले।

रणनीति और पूरी सूझ-बूझ से जीता जा सकता है। चाहे भारतीय वायु सेना ने तकनीकी तौर पर तरक्की कर ली है लेकिन अर्जन सिंह का बुलंद हौसला देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ गया है। अर्जन सिंह ने अपने सैनिक परिवार की शान को भी चार चांद लगाए। दूसरे विश्व युद्ध में भाग लेने वाले अर्जन सिंह ने कोर्ट मार्शल दौरान ऐसा जवाब दिया कि अंग्रेज सरकार को भी चुप करवा दिया। चाहे उन्हें एक अधिकारी को प्रशिक्षण देने के लिए नियम तोड़ने पड़े लेकिन बाद में वही अधिकारी वायु सेना का प्रमुख भी बना। अर्जन सिंह बहादुर सिपाही नहीं बल्कि एक निपुण ट्रेनर भी था। उनसे प्रशिक्षण लेने वाले बुलंदियों को जा छू जाते थे।

1965 के युद्ध में एयरफोर्स की तैयारी के लिए केवल एक घंटे का समय अर्जन सिंह की प्रशासनिक सूझ-बूझ व बहादुरी का ही परिणाम था। पाकिस्तान सहित अन्य पड़ोसी देशों के लिए अर्जन सिंह का नाम ही काफी था। सेवामुक्ति के बाद अर्जन सिंह में अटूट जिंदादिली व हौसला था। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए वह व्हील चेयर पर हवाई अड्डे पर पहुंचे और कुर्सी से उठकर श्रद्धांजलि भेंट की। जिस देश के पास अर्जन सिंह जैसे महान योद्धा हों व वह देश किसी भी ताकत को मुंह तोड़ जवाब दे सकता है। पिछले कुछ समय में कुछ सैनिकों ने घटिया खाना परोसने व सुविधाओं की कमी होने का विवाद खड़ा कर सेना की छवि को धूमिल किया। भ्रष्टाचार ने भी सैनिक प्रबंधों पर कलंक लगाया है। अर्जन सिंह की सेवाओं से प्रेरणा लेकर सैनिक प्रबंधों में सुधार किया जा सकता है।