रंग लाया डेरा सच्चा सौदा का अभियान | SukhDua Samaj
- समाज की मुख्यधारा में शामिल होने व सिर उठाकर जीने का मिला कानूनी हक
- पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शुरू की थी मुहिम
सिरसा। कुदरत भले ही उनके साथ इंसाफ नहीं कर पाई, सुख की दुआ करने के बावजूद भले ही वे जमाने के लिए हंसी के पात्र हों, दुनिया उन्हें कितनी ही हिकारत भरी नजरों से देखती हो, ट्रेनों बसों और घरों में उनके ताली ठोंकने पर लोग ठहाके लगाते हों लेकिन समाज के उपहास, उपेक्षा को झेलने के लिए अभिशप्त इन किन्नरों की जिंदगी के पीछे के असल दर्द को समझने व इनके जीवन को बदलने की अगर किसी ने सही मायने में पहल की तो वो मानवता भलाई के पुंज सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा ने। किन्नरों की दशा सुधारने व उन्हें समाज की मुख्य धारा में डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दिशा निर्देशन में पूज्य माता नसीब कौर जी इन्सां वुमेन वैल्फेयर सोसायटी ने वर्ष 2013 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका-604 दायर की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए अप्रैल 2014 में न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी की खंडपीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए किन्नरों को पहचान के साथ कानूनी दर्जा देने का आदेश देते हुए थर्ड जेंडर यानि लिंग की तीसरी श्रेणी में शामिल करने का सम्मानजनक आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के साथ ही न केवल किन्नरों को सदियों से मिले श्राप से मुक्ति मिल गई और अभिशप्त लाखों किन्नरों की अंधेरी जिंदगियों में उजियारा छा गया। सामाजिक व कानूनी मान्यता मिलने से किन्नर भी स्वंय को इस दुनिया का हिस्सा मानने लगे और उन्हें यकीन हो गया कि अब वे भी इस जमाने के साथ सर उठा के जी सकते हैं।
नियमित रक्तदान,आंखें दान व मरणोपरांत शरीरदान तक का लिया है प्रण
फैसले में वाकई हाशिये पर धकेले जाने वाले किन्नरों को समाज द्वारा कानूनी तौर पर स्वीकार करने का साहस दिखाया गया। लिंग की तीसरी श्रेणी में शामिल होने के साथ ही अब न केवल सुखदुआ समाज को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण मिलने लगा है बल्कि सरकार उन्हें चिकित्सा व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करा रही है। केंद्र और राज्य सरकारें इनकी सामाजिक और लिंगानुगत समस्याओं का भी निवारण करने के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों व नौकरियों में पिछड़ों को दिया जाने वाला आरक्षण भी प्रदान करने लगी हैं।
बगैर किसी जाति-धर्म व ऊंच-नीच के भेदभाव से परे हटकर जीने वाले किन्नर समाज को कानूनी मान्यता दिए जाने के लिए बता दें कि डेरा सच्चा सौदा हमेशा ही किन्नरों को सामाजिक व कानूनी मान्यता दिए जाने का पक्षधर रहा है। पूज्य गुरु जी के आह्वान पर डेरा श्रद्धालुओं ने कई सालों तक लगातार देश-विदेश में हजारों जनजागरूकता रैलियां निकाल किन्नरों को सामाजिक हक दिलाने की मांग की थी।
…जब किन्नर से बने सुखदुआ | SukhDua Samaj
हारमोनल इनबायलेंस के कारण आयी एक बीमारी की वजह से हमारा समाज हमेशा ही उन्हें कौतुहल से देखता आया है। सैंकड़ो-हजारोंं वर्षों से उपेक्षित इस समाज को किन्नर, हिजड़ा, छकका और भी न जाने किन-किन नामों से पुकारा जाता रहा लेकिन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 14 नवंबर 2009 को इन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की अनोखी व ऐतिहासिक मुहिम शुरू की और इन्हें सुखदुआ समाज का सम्मानजनक नाम देकर इनकी जिंदगी पर लगा धब्बा हमेशा के लिए मिटा दिया और इसी के साथ हो गई सुखदुआ समाज की अंधेरी जिंदगी में उजाले की श्ुारूआत जो आज भी निरंतर जारी है।
जमाना देता है गाली, वे दुआएं | SukhDua Samaj
भला करने वाले,भला ही किए जा, बुराई के बदले भलाई किए जा…शब्द की उपरोक्त पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है डेरा सच्चा सौदा से जुड़े किन्नर यानि सुखदुआ समाज ने। खुद को हिकारत भरी नजरों से देखने वाले जमाने के लिए आज वे किसी मिसाल से कम नहीं। दुनिया उन्हें किन्नर, छकका आदि कहकर गाली देती है लेकिन वे अपना रक्तदान, आंखें दान व मरणोपरांत शरीरदान कर उसी जमाने के मुंह पर करारा तमाचा मार रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा द्वारा मानवता भलाई के कल्याणार्थ चलाई गई मुहिमों में सुखदुआ समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। आश्रम की ओर से लगाए गए रक्तदान कैंपों में सुखदुआ समाज के लोग भारी तादाद में खूनदान करने आते हैं और यही नहीं पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा से सुखदुआ समाज के लोगों में से किसी ने नियमित रक्तदान तो किसी ने आंखें दान व मरणोपरांत शरीरदान तक का प्रण लिया हुआ है।
…बजती है राम नाम की ताली | SukhDua Samaj
डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं के साथ-साथ भी आमजन इन्हें घृणा भरी दृष्टि से नहीं बल्कि सम्मान की नजरों से देखने लगे हैं। यहां ये राम नाम की ताली बजाते हुए नजर आते हैं और खास बात ये कि इनकी ताली पर कोई हंसता नहीं बल्कि इनके साथ मिलकर सहयोग करते हैं।
खेलों व सांस्कृतिक कायज्क्रमों में भी अव्वल | SukhDua Samaj
सुखदुआ समाज के बच्चों ने खेलों व सांस्कृतिक कायज्क्रमों में भी विशेष पहचान बनाई है। खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी अब वे बगैर किसी हीन भावना के खेलते हैं और इनका प्रदशज्न भी शानदार रहता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी ये मनोरंजन के साथ ही दशज्कों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर रहे हैं।
सफाई महाभियानों में हौंसले की झाड़ू | SukhDua Samaj
डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई के कार्यों में भी सुखदुआ समाज के लोगों के अंदर गजब का उत्साह नजर आ रहा है। हो पृथ्वी साफ , मिटें रोग अभिशाप महाभियान में भी सुखदुआ समाज कभी पीछे नहीं रहा। अब तक जितने भी सफाई महाभियान हुए,भारी तादाद में सुखदुआ समाज के लोग हर जगह झाडू लगाते हुए दिखाई पड़ते हैं।
मानवता भलाई के लिए चलते हैं कंधे से कंधा मिलाकर
मानवता भलाई के लिए बनाई गई शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोसज् विंग में भी सुखदुआ समाज के लोगों की भारी तादाद है और यही नहीं इनमें मानवता भलाई को लेकर गजब का जोश भी है। विंग द्वारा किए जा रहे जनकल्याण के सभी कार्यों में ये बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और साध संगत के साथ कंधे से कंध मिलाकर चलते हुए नजर आते हैं।