स्पेन की राजधानी बार्सीलोना में एक वैन ड्राईवर ने 13 व्यक्तियों को कुचल कर मार दिया। स्पेन के प्रधानमंत्री ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया। इसके अलावा मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि यह कोई अचानक या गलतीवश घटित दुर्घटना नहीं। यदि विगत वर्षों में घटित घटनाओं से इसकी तुलना की जाए तो फ्रांस के नीस शहर में ट्रक द्वारा किए गए आतंकी हमले की हुबहू नकल है। इसी तरह जर्मनी की राजधानी बर्लिन में क्रिसमस के अवसर पर एक बाजार में भीड़ पर भारी वाहन चढ़ा दिया गया था।
इस साल भी वर्जीनिया, पैरिस, लन्दन में भी ऐसीं घटनाएं हुई है। कारण स्पष्ट ही है कि सुरक्षा बलों की चौकसी के चलते हथियारबंद आतंकवादी अब जल्द पकड़ लिए जाते हैं। दूसरी ओर आतंकवादी संगठन बड़े शातिर हो रहे हैं, जिन्होंने हमले करने के तौर तरीके बदल लिए हैं। अब उन्होंने कार, जीप और ट्रक को हथियार बना लिया है किंतु निराशाजनक बात यह है कि तकनीक में माहिर यूरोपीय देश आतंकवाद की नई रणनीति को समझने में चूक कर रहे हैं।
आतंकवादी अपने मिशन में सफल हो रहे हैं जबकि यूरोपीय देश केवल हथियार बनाने में जुटे हुए हंै। आतंकवाद से निपटने के लिए केवल हथियारों की जरूरत नहीं अपितु होशियारी व समझदारी की भी जरूरत है। भारत सहित अन्य एशियाई देशों को इस मामले में गंभीर और जागरूक होने की आवश्यकता है। बड़ी आबादी वाले देशों में यूरोप जैसे हमले तो और भी खतरनाक हो सकते हैं।
आतंकवाद के खतरनाक रूप के मद्देनजर भारत सरकार को रेलवे, बांध, नहरों व भीड़ वाले सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा के लिए पुख्ता प्रबंध कर लेने चाहिए। यदि एक बांध या नहर किसी भी साजिश के अंतर्गत तोड़ी गई तब यह हथियारों से किए गए हमले से कहीं ज्यादा खतरनाक साबित होगी। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए आतंकवादियों की अपेक्षा तेज व मजबूत रणनीति बनानी होगी। यह रुझान बंद होना चाहिए कि जब कोई घटना हो फिर तैयारी की जाए। आतंकवाद प्रभावित देशों को नई रणनीति तैयार करने के लिए वैश्विक संयुक्त टीम बना लेनी चाहिए।
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