कहते हैं कि संकल्प में बहुत बड़ी ताकत होती है, संकल्प के साथ किए जाने वाले कार्य हमेशा सुफल परिणाम देने का संचार करते हैं। स्वतंत्रता के बाद लम्बे समय तक भारत में जिस संकल्प के साथ काम होना चाहिए था, उसमें कमी का अहसास देखा गया। इसी कारण से हमारा देश एक ऐसी राह पर कदम बढ़ा चुका था, जो किसी न किसी रुप से भारत को कमजोर करने की ओर ले जा रहा थी। राजनीतिक सत्ता में गठबंधन के दौर के चलते कठोर निर्णय लेने की प्रक्रिया लगभग बंद सी हो गई थी।
इसके चलते सरकारों के पास संकल्प शक्ति का अभाव दिखाई दिया। लेकिन पिछले तीन वर्ष से देश में एक नई आशा का संचार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने साहसी निर्णयों के सहारे देश को एक नई दिशा का बोध कराया है। एक ऐसी दिशा जिसमें भ्रष्टाचार मुक्त भारत की कल्पना समाहित है, एक ऐसी दिशा जिसमें अमीर और गरीब में भेद नहीं हो। देश के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को फिर से भरोसा दिलाने का संकल्प किया।
पिछली बार की तरह ही इस बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में एक विश्वास दिखाई दिया। मोदी के भाषण में जहां संवेदनाएं थीं, वहीं समस्याओं का समाधान भी था। उन्होंने कश्मीर समस्या का समाधान प्रस्तुत करते हुए कहा कि जहां गाली और गोली से समाधान नहीं निकलता, वहां गले लगाने से काम चलता है। यानी प्रधानमंत्री का साफ संदेश यही था कि वह अब कश्मीर को लेकर बेहद गंभीर हैं और समस्या का निदान करके ही मानेंगे।
वास्तव में हमने देखा है कि मोदी के मन में जो बात आती है, उसे वे पूरा करने में जुट जाते हैं। वह कुछ दिनों की समस्या तो हो सकती है, लेकिन बाद में वही समाधान बन जाता है। यह सत्य है कि हर अच्छे काम में अनैतिक शक्तियां व्यवधान पैदा करती हैं। मोदी के हर काम में भी जबरदस्ती समस्या पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। नोटबंदी और जीएसटी भी मोदी सरकार के ऐसे ही कदम माने जा सकते हैं।
हमने देखा कि इन कदमों को देश के विपक्षी राजनीतिक दलों ने जन विरोधी बताने का कार्य किया, इतना ही नहीं इसे देश के लिए घातक भी कहा गया, लेकिन जनता ने मोदी के इस कार्य पर अपनी मुहर लगाकर यह प्रमाणित कर दिया कि मोदी का यह कदम वास्तव में स्वच्छ भारत और सुव्यवस्थित भारत बनाने की दिशा में प्रभावी कदम है।
भ्रष्टाचार का दंश भोगने वाली भारत की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों में वह सब दिखाई दे रहा है, जो एक नया भारत बनाने के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कई बार स्पष्ट कहा है कि अच्छे कामों को करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, देश की जनता सरकार के साथ कुछ दिनों की कठिनाइयों का सामना करे, फिर हम देखेंगे कि आने वाला समय भारत का होगा।
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम दिए अपने संबोधन में पिछले तीन साल के हिसाब का लेखा प्रस्तुत किया। जिसे पूरे देश की जनता ने सुना। विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण भले ही आलोचना का विषय रहा हो, लेकिन देश की जनता में मोदी की वाणी के प्रति अनुराग है। यह अनुराग इसलिए भी है कि प्रधानमंत्री मोदी आम जनता की भाषा बोलते हुए दिखाई देते हैं।
ग्रामीण जनता हो या शहर में निवास करने वाली जनता की बात हो, मोदी का भाषण सरल भाषा में ही होता है। इससे पहले की सरकारों, विशेषकर कांगे्रस की सरकारों की बात की जाए तो उन्होंने स्वाधीनता के अवसर पर अपने भाषण ज्यादातर अंगे्रजी भाषा में ही दिए। हम जानते हैं कि अंगे्रजी में दिया गया भाषण आम जनता के पास तक भी नहीं पहुंच पाता था। यानी वे सरकारें आम जनता की पहुंच से काफी दूर ही रहीं, लेकिन मोदी की सरकार आम जनता की सरकार है।
उनके दिल में गरीब का दर्द है। वास्तव में मोदी की आवाज देश की आवाज बनकर वातावरण में गूंजती है। बचपन से लेकर पूरे जीवन भर मोदी ने जिस दर्द का स्वयं अहसास किया है, वही देश की जनता का भी दर्द है। मात्र इसी कारण मोदी भारत की जनता के हमदर्द बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘सबका साथ और सबका विकास’ वाली अवधारणा को आधार बनाकर ही अपने भाषण देते हैं। उनके भाषण में किसी के प्रति कोई पक्षपात नहीं, कोई विद्वेष का भाव नहीं। सबके लिए समान भाव को प्रकट करते हुए मोदी ने यह भी व्यक्त किया कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। प्रताड़ना की शिकार होने वाली मुस्लिम महिलाओं के बारे में मोदी ने समाधानकारक मंत्र दिया। यानी मोदी सबको अपना ही समझते हैं। इसी भाव के साथ काम करने से देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकेगा। किसी भी पक्ष को छोड़कर विकास की कल्पना करना निरर्थक ही कहा जाएगा।
वास्तव में आज देश में कुछ राजनीतिक दल जिस प्रकार का वातावरण बनाने का कार्य कर रहे हैं, वह केवल राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित ही दिखाई देते हैं। वर्तमान में देश में जो अपवाद दिखाई देते हैं, वे सभी प्रशासनिक कार्यपद्धति का परिणाम मानी जा सकती है।
यह सही है कि देश की सरकार परिवर्तित हो गई है, तो प्रशासन को भी अपने काम में उसी प्रकार का बदलाव लाना होगा। क्योंकि सरकार की योजनाओं को आम जनता के पास तक ले जाने का काम केवल प्रशासन का ही होता है। प्रशासन पूरी ईमानदारी से अपने कार्यों को अंजाम दे तो आम जनता को सरकार की नीतियों का लाभ मिल सकेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से स्वराज के सपने को पूरा करने पर भी जोर दिया। वास्तव में आज देश में जो देखने में आ रहा है कि उसमें राज तो दिखाई देता है, लेकिन स्वराज का बोध कराने वाला अहसास नहीं है। हमारे महापुरुषों ने जिस प्रकार के भारत की कल्पना की थी, वैसा भारत बनाने के लिए मोदी ने अभियान चलाया है।इस अभियान को सार्थकता प्रदान करने के लिए सरकार तो सक्रिय है ही, साथ हमें भी सक्रियता दिखाना होगी, तभी हम अपने उद्देश्य में सफल हो सकेंगे।
-सुरेश हिन्दुस्थानी
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