नई दिल्ली: चीन के साथ जारी डोकलाम विवाद पर जापान ने भारत का सपोर्ट किया है। जापान ने कहा है कि किसी भी देश को जोर-जबर्दस्ती से इलाके की यथास्थिति में बदलाव की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बता दें कि सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं।
बता दें कि जापान का नजरिया वहां के पीएम शिंजो आबे के भारत दौरे से पहले आया है। आबे 13 से 15 सितंबर तक भारत दौरे पर आने वाले हैं। केनजी भूटान में भी जापान के एम्बेसडर हैं। उन्होंने अगस्त की शुरुआत में भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे से मुलाकात की थी और उन्हें भी इस मसले पर जापान के रुख की जानकारी दी थी।
अमेरिका भी कर चुका है भारत का सपोर्ट
जापान से पहले अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ की थी। अमेरिका ने कहा है कि भारत-चीन को डोकलाम विवाद के हल के लिए बातचीत की मेज पर आना चाहिए। अमेरिका ने जमीन पर एकतरफा बदलाव को लेकर चीन को सतर्क भी किया था। ऐसा कर यूएस ने भारत के नजरिये का सपोर्ट किया था।
क्या है डोकलाम विवाद?
ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है। इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।
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