पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने चुनाव से पहले 4 सप्ताह में नशा खत्म करने का वायदा किया था। यह घोषणा उन्होंने एक पावन ग्रंथ को हाथों में लेकर शपथ लेते हुए की थी। चुनाव जीतने के बाद नशे की रोकथाम के लिए एक स्पैशल टास्क फोर्स का गठन भी किया गया, जिसने धड़ाधड़ छापेमारी करते हुए मामला दर्ज व गिरफ्तारियां की।
अब कांग्रेस के एक विधायक सुरजीत सिंह धीमान ने सरकार की नशा विरोधी मुहिम पर सवाल खड़े किए हैं। विधायक ने दावा करते हुए आरोप लगाए हैं कि सरकार बनने के बाद सिर्फ 15 दिन तक पुलिस ने नशा रोकने के लिए कार्रवाई की, किन्तु बाद में अफसरशाही व नशा तस्कर फिर मिल गए और नशा बंद नहीं हो रहा। जिस तरह उम्मीद की गई थी, उस मुताबिक मुख्यमंत्री ने विधायक की क्लास लगाई और जमकर खिचाई की।
फिर भी विधायक अपनी बात पर अभी भी कायम हैं। यहां तक धीमान की विचारधारा व दृढ़ता का संबंध है, वह समाज की बेहतरी के लिए डटने वाले नेताओं में गिने जाते रहे हैं। विशेष तौर पर अश्लील गीतों के खिलाफ उन्होंने दमदार आवाज उठाते हुए एक समारोह का बहिष्कार भी कर दिया था, क्योंकि वहां गायक अश्लील गीत गा रहे थे।
धीमान उस समारोह में मुख्य मेहमान के तौर पर पहुंचे थे। रसोई गैस सिलेंडरों की सबसिडी लौटाने वालों में भी धीमान अग्रणी नेताओं में थे। यहां तक नशा तस्करी की बात है, धीमान की बात यदि पूरी तरह सच्ची नहीं तो यह झूठी भी नहीं है। सरकार बनने के तीन माह बाद भी पंजाब में नशा विशेष तौर पर ‘चिट्टा’ बिक रहा है। स्पैशल टास्क फोर्स ने कार्रवाई भी की है, किन्तु नशा खाने वाले अथवा गांवों के छोटे तस्कर अधिक पकड़े हैं।
नशे की सप्लाई चैन अभी भी टूट नहीं सकी। गत माह जिला भटिंडा में एक कथित नशा तस्कर की गांव वालों ने हत्या कर दी थी। रोजाना ही नशा तस्करों का पकड़े जाना भी स्पष्ट करता है कि छोटे-छोटे तस्करों को सप्लाई देने वाले बड़े तस्करों को हाथ क्यों नहीं डाला जा रहा। नशा पंजाब में पैदा नहीं होता, बाहर से आता है। बड़ी मच्छलियों बारे सरकार चुप है।
अभी तो यह परिस्थिति है कि कांग्रेसी नेता ऐसे अकाली नेताओं को भी पार्टी में शामिल करने से गुरेज नहीं कर रहे, जो पहले नशा तस्करी से जुड़े हुए हैं। गत माह जिला बरनाला में एक अकाली पार्षद को कांग्रेस में शामिल कर उसे नगर कौंसिल का उपाध्यक्ष बनाया गया।
कुछ दिन बाद उसी पार्षद को पुलिस ने अफीम सहित गिरफ्तार किया। आवश्यक्ता है कि नेता लोग खुद नशा मुक्त हों व नशा तस्करों व नशेड़ियों को पार्टी में कोई पद न दिया जाए। यदि अब धीमान जैसे विधायक ने सच बोलने की हिम्मत दिखाई है तो सरकार को भी अब इस मामले में गंभीर होना चाहिए। धीमान के दावों को बेबुनियाद नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह तो सच है कि पंजाब अभी भी नशा मुक्त नहीं हुआ है।
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