नशा तस्करी से निपटने के लिए करने होंगे ठोस प्रयत्न

Drug Trafficking

हेरोइन तस्करी के फैलते जाल से भारत सरकार के समक्ष गंभीर चुनौती पैदा हो गई है। मैदानी क्षेत्र के बाद अब तस्करों ने समुद्री रास्ते से भी हेरोइन की बड़ी खेप भेजनी शुरू कर दी है। गुजरात के नजदीक अरब सागर में भारतीय कोस्ट गार्डों ने 1500 किलो हेरोइन बरामद की है। अगर इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत आंकें तो लगभग 3500 करोड़ रुपए बनती है। नशा तस्करी के इतिहास में इतनी बड़ी खेप भारत में पहले कभी नहीं पकड़ी गई। पिछले दशक से पंजाब व राजस्थान की सीमा पर पाकिस्तान की ओर से बडे स्तर पर की जा रही तस्करी की घटनाएं सामने आ रही हैं।

हर वर्ष मैदानी क्षेत्र से क्विंटलों के हिसाब से हेरोइन बरामद हुई है। युवाओं को पथभ्रष्ट करने वाली इस हेरोइन की तस्करी से देश को दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तरफ इन खतरनाक नशों ने पंजाब को नशों का गढ़ बना दिया है, वहीं दूसरी ओर नशा तस्करी का यह पैसा आतंकवाद के लिए खर्च हो रहा है। भले ही हर वर्ष मादक पदार्थों की बरामदगी बढ़ रही है, लेकिन तस्करी बंद होने का नाम नहीं ले रही। इसका सीधा-सा अर्थ है कि हेरोइन की तस्करी छोटे-मोटे तस्कर नहीं कर रहे, बल्कि इसमें पड़ोसी देश की मदद व बड़े तस्कर शामिल हैं।

यह कहना भी गलत नहीं होगा कि विदेशी ताकतें भारतीयों को मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर बनाने की गहरी साजिशें रच रही हैं। गत कई वर्षों से फौज में भर्ती के लिए पहुंच रहे हजारों युवाओं में से अधिकतर शारीरिक मापदंडों पर खरे नहीं उतर पा रहे। नशों, आज की युवा पीढी की सबसे बड़ी कमजोरी बनता जा रहा है। यही नहीं, अधिकारी तंत्र को भी नशे की कमाई के मक्कड़झाल में फांसकर विदेशी एजेंसियां देश की खुफिया जानकारियों जुटाने में लगी हुई हैं। नशा की इस तस्करी को रोकने के लिए केंद्र सरकार को ठोस नीति अपनानी होगी। राजनीतिज्ञों से लेकर अधिकारी, कर्मचारी तक नशा तस्करी के मामले में लिप्त पाए जा चुके हैं। ऐसे में सरकार को पूरी दृढ़ता से इस मामले में आगे बढ़ना होगा।

अक्सर ऐसा होता है कि राजनीतिक रसूख वाले तस्कर हर मामले में बच निकलते हैं। अकाली-भाजपा की पूर्व पंजाब सरकार में आधा दर्जन के लगभग नेता लोग तस्करी मामले में फंसे थे, लेकिन वे कानून को चकमा देते हुए बच निकले। युवाओं को नशे से बचाने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। देश विरोधी ताकतों को नाकाम बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। अगर नशा तस्करी पर रोक नहीं लग पाई, तो आतंकवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में विफलता मिलेगी।

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