अस्थिरता के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को दोपहर के समय सुप्रीम कोर्ट ने पनामा केस में एतिहासिक फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी ठहरा दिया। फैसले की खबर जैसे ही बाहर आई पूरे पाकिस्तान में भूचाल आ गया। इसके बाद नवाज को मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। इस घटना के बाद पडोसी मुल्क में एक बार फिर से भंयकर राजनीतिक संकट का खतरा पैदा हो गया है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए नवाज के खिलाफ इस मामले में मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है। फैसले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर दिया गया और शरीफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस फैसले से एक बात साबित होती है कि नवाज किसी भी सूरत में शरीफ नहीं हैं।
नवाज के सत्ता में न रहने से भारत-पाक रिश्तों में बड़ा बदलाव आ सकता है। शायद नए प्रधानमंत्री के आने से आगे हालात कुछ बदलें। पाकिस्तानी रुख में कश्मीर जैसी कुछ बुनियादी बातें हैं, जो भारत के मामले में हमेशा एक जैसी रही हैं। हालांकि कुछ हलकों में नवाज को भारत से रिश्तों में बेहतरी का पक्षधर माना जाता था। ऐसे में उनके सत्ता में न रहने से सेना की पकड़ मजबूत होगी, जिससे भारत के खिलाफ और विपरीत हालात पैदा किए जाएंगे।
कोर्ट ने नवाज के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगाते हुए कहा कि वह संसद और अदालत के प्रति ईमानदार नहीं रहे, इसलिए प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के योग्य नहीं हैं। इसके बाद नवाज ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सवाल उठता है जो संवैधानिक चीजों को इग्नोर करता हो उससे ज्यादा उम्मीदें करना खुद में बेईमानी सी लगती है। पनामा पेपर्स लीक कांड आखिर है क्या? इसे समझना भी हमारे लिए जरूरी है। दरअसल पनामा मध्य अमेरिका का एक छोटा सा देश है। पनामा में विदेशी निवेश पर कोई टैक्स नहीं लगता है इसी वजह से पनामा मे करीब चार लाख गोपनाीय कंपनीयां हैं।
पनामा में सेक फॉन्सेका नामक फर्म विदेशियों को पनामा में शेल कंपनी बनाने में मदद करती है जिसके जरिये कोई भी व्यक्ति संपत्ति को अपना नाम या पता बताये बिना खरीद सकता है। इसी कंपनी के लीक हुए दस्तावेजों में दुनिया भर के बड़े नेताओं प्रमुख खिलाडियों और अन्य बडी हस्तियों के नाम सामने आये हैं जिन्होंने अरबों डॉलर की राशि पनामा में छुपाई हुई है। इनमें आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, यूक्रेन के राष्ट्रपति, सऊदी अरब के राजा और डेविड कैमरन के पिता का नाम प्रमुख है। इनके अलावा लिस्ट में ब्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी है।
पनामा में हमारे भारतीय भी पीछे नहीं है। इसमें कथित तौर पर टैक्स फायदे के लिए अपनाए गए तरीकों में लगभग 500 भारतीयों के भी नाम हैं। फिल्मी हस्ती अमिताभ बच्चन-ऐशवर्या राय, अजय देवगन, डीएलएफ कंपनी के मालिक केपी सिंह और उनके परिवार के नौ लोगों, अपोलो टायर्स-इंडियाबुल्स के प्रमोटर और गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी के नाम शामिल हैं। इस लिस्ट में राजनेताओं में छतीसगढ़ के सीएम रमन सिंह के पुत्र भाजपा सांसद अभिषेक सिंह, पश्चिम बंगाल के शिशिर बजोरिया और लोकसत्ता पार्टी के अनुराग केजरीवाल का भी नाम है।
इसके अलावा कुख्यात अपराधी दाऊद के पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची भी शामिल है, साथ ही इंडियाबुल्स के मालिक समीर गहलौत का नाम भी है। पनामा पेपर्स में नाम आने पर आइसलैंड के पीएम इस्तीफा दे चुके है, पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को वहां की कोर्ट ने अपदस्थ कर दिया है। पनामा पेपर्स लीक में कई देशों के नेता, अधिकारी, व्यवसायी व अभिनेता फंसे हैं। इससे पहले आइसलैंड के प्रधानमंत्री की कुर्सी जा चुकी है। करीब 500 भारतीयों के भी नाम इस पेपर्स की लिस्ट में दर्ज हैं। हालांकि भारत की जुडिशियल प्रक्रिया काफी जटिल है। हमारे नेता किसी भी तरह के बचने के रास्ते खोज लेते हैं।
पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ का राजनैतिक करियर इसके बाद लगभग खत्म हो गया है। पनामा में उनका नाम आने के बाद उन पर तलवार लटक गई थी। उनके परिवार के विदेश में संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जेआईटी का गठन किया था, जिसने बीती 10 तारीख को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी। गौरतलब है कि 2013 में अमेरिका स्थित इंटरनेशनल कन्सर्शियम अफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) नामक एक एनजीओ ने पनामा के मोजैक फोंसेका नामक कानूनी फर्म के कई पेपर्स का खुलासा किया था। यह दस्तावेज उसे किसी अज्ञात सूत्र ने उपलब्ध कराए थे। इनमें उन लोगों नाम हैं, जिन्होंने अपनी अरबों की संपत्ति गैरकानूनी रूप से छुपा कर रखी है। इनके मुताबिक अलग-अलग देशों की बड़ी हस्तियों ने अपनी अरबों की संपत्ति का ऐसी जगहों पर निवेश किया, जहां टैक्स का कोई चक्कर नहीं है।
अब शरीफ के छोटे भाई और पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ को पीएम बनाया जा सकता है, हालांकि दिक्कत यह है कि वह नेशनल असेंबली के सदस्य नहीं हैं। जब तक वह इसके सदस्य नहीं बन जाते तब तक किसी और को बिठाना पड़ेगा। पनामा लीक मामले में उनका भी नाम था लेकिन वह साफ बच निकले हैं। वैसे अतीत में शाहबाज शरीफ के पाकिस्तान के सत्ता तंत्र से बेहतर संबंध बताये जाते हैं। पिछली बार शरीफ का तख्ता पलटे जाने के बाद सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने भी एक बार शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाये जाने की सिफारिश की थी।
दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी पीपीपी भी मजबूत स्थिति में नहीं है। पाकिस्तान में जब-जब ऐसी स्थिति आती है, सेना के सत्ता पर काबिज होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि कुछ लोग इससे यह कहकर इनकार करते हैं कि सेना प्रमुख कमर बाजवा से नवाज के अच्छे संबंध हैं। जो भी हो, भारत को बेहद सावधान रहने की जरूरत है। राजनीतिक अनिश्चितता का लाभ उठाकर भारत विरोधी ताकतें पहले से भी ज्यादा सक्रिय हो सकती हैं। भारत को पाकिस्तान के नए सियासी समीकरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि इसके बाद पाकिस्तान काफी कमजोर पड़ जाएगा। चीन के साथ भारत को घेरने की साजिश पर भी पानी फिर गया है।
-रमेश ठाकुर
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