पंजाब देश का वह प्रदेश है जहां नशा तस्करी करने वाले एंव नशेड़ी सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। हालांकि अब सरकार बदली है एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस कलंक को मिटाने के लिए काफी जद्दोजहद छेड़ रखी है। लेकिन सरकार के प्रयासों पर पंजाब पुलिस प्रशासन पानी फेर रहा है। अभी दो रोज पहले पंजाब पुलिस ने न्यायालय में अर्जी दी कि जगदीश भोला जोकि नामी तस्कर व पुलिस अधिकारी रहा है, पुलिस हिरासत से भाग सकता है। पुलिस हिरासत से किसी अपराधी का भागना अपने-आप में सिद्ध करता है कि पुलिसकर्मी सुस्त होंगे, कमजोर होंगे, तभी अपराधी हिरासत से भाग जाने की हिम्मत करते हैं।
पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में भी पुलिस कर्मियों में पहले जैसा दमखम नहीं रहा। पुलिस के अधिकतर कर्मचारी ब्लड प्रैशर, तनाव, थकान व मोटापे के शिकार हो रहे हैं। पुलिस बल की गिरती सेहत की मुख्य वजह पुलिस भर्ती के बाद कर्मियों-अधिकारियों का नियमित कसरत से जी चुराना है। हर कर्मी व अधिकारी ज्यादा से ज्यादा आरामतलबी पसंद करने लगा है। वातानुकूलित गाड़ियां, वातानुकूलित कार्यालय पुलिस कर्मियों की पहली पसंद बन रहे हैं। दूसरी ओर तस्कर व अपराधिक प्रवृति के लोग अपनी सेहत पर बहुत ज्यादा ध्यान देने लगे हैं, ये लोग भले जेल में हों या जेल के बाहर अपनी खुराक व दैनिक कसरत को पूरे शौक से करते हैं। तभी फेसबुक जैसी सोशल साईटस पर अपराधिक सरगनाओं के प्रशंसकों की अच्छी खासी गिनती हो रही है।
पंजाब पुलिस की यह अर्जी कि तस्कर भोला हिरासत से भाग सकता है कितनी ज्यादा हास्यस्पद है। सलाखों के पीछे पड़ा व्यक्ति जो बाहर भी निकाला जाता है, तब भी हथकड़ी लगी रहती है फिर कई-कई जवान उसे पेशी भुगतवाते हैं। ऐसे में भला वह कैसे फरार हो सकता है? अब प्रश्न यह है कि पुलिस हिरासत में बैठे अपराधी को पकड़कर नहीं रख सकती तो बाहर घूम रहे वांछित अपराधियों को भला पुलिस कैसे पकड़ेगी? पंजाब के अलावा अन्य राज्यों को भी पुलिस की शारीरिक चुस्ती पर ध्यान देना होगा। कर्मचारियों-अधिकारियों की कसरत को अनिवार्य करना होगा, खेल-कूद व शौकिया कसरत पुलिस कर्मियों के दैनिक जीवन का हिस्सा होने चाहिए ताकि वह अपराधियों को काबू रख सकें तथा समाज की अच्छे से हिफाजत कर सकें।
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