भटिंडा (अशोक वर्मा)। भटिंडा में आए दिन चल रहे बिजली के आंख-मिचौली खेल ने शहर निवासियों की नाक में दम कर रखा है। गत एक माह से ( Power Affected ) बिजली कटौती से परेशान शहर निवासियों ने कहना शुरू कर दिया है कि आखिर बिजली सप्लाई के अच्छे दिन कब आएंगे?
गत एक माह दौरान शहर के कई क्षेत्रों में तो दिन व रात के समय कम से कम 12 से 14 बार बिजली प्रभावित होती रही है। हालांकि विभाग की तरफ से कोई पॉवर कट नहीं है, फिर भी फीडरों व लाईनों की मुरम्मत के नाम पर दिन व रात के समय अकसर बिजली ठप रखी जाती रही है। जानकारी मुताबिक भीषण गर्मी ने हर वर्ग के लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। ऐसे में बार-बार बिजली जाने से लोगों की दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
पॉवरकाम के कुछ कर्मचारियों ने माना कि शहर का बिजली ढांचा पुराना होने के कारण गर्मी में बिजली संकट से राहत की संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर बिजली लाईनों आदि की आवश्यक मुरम्मत करवाई जा रही है, किन्तु यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
20-22 लाख यूनिट रोजाना बिजली की मांग | Power Affected
आंकड़ों के मुताबिक शहर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या एक लाख से अधिक है। आम दिनों में 20-22 लाख यूनिट रोजाना बिजली की मांग रहती है, जो कि गर्मी में 25 से 27 लाख यूनिट तक पहुंच जाती है। बिजली समस्या को देखते हुए वर्ष 2009 में शहर में वितरण प्रणाली को दुरूस्त करने हेतु 48 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाले फंड केन्द्र सरकार द्वारा दिए जाने थे। इस प्रोजेक्ट तहत पुरानी तारें, केबलें व बुनियादी बिजली ढांचा बदला जाना था।
इसके साथ ही शहर में जो ट्रांसफार्मर ओवरलोड चल रहे थे, उनका लोड कम करने की योजना थी। इसी तरह गोल डिग्गी के पास 16 करोड़ रुपये की राशी से 66 केवी सब स्टेशन बनाने की योजना थी, जिसके लिए नई इमारत पर चार करोड़ खर्च किए जाने थे। इस सब स्टेशन से बीबी वाला चौक के पास एमईएस ग्रिड तक शहर के कई हिस्सों से होती हुई 4 किलोमीटर लंबी जमीनदोज केबल बिछाने का प्रोग्राम था।
बिजली सप्लाई में होना था सुधार | Power Affected
एमईएस ग्रिड की क्षमता 12 एमवीए से 20 एमवीए की जानी है। इसी तरह रिंग रोड पर स्थित ग्रिड को दोहरी लाईन से जोड़ने की योजना है। ऐसा करने से एक लाईन खराब होने की सूरत में तुरंत दूसरी चलाई जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट में पुराने ब्रेकरों व बैटरियों की तबदीली, नए ट्रांसफार्मर रखने, कडंक्टर मोटा डालना आदि शामिल किया गया था। तकनीकी माहिर के अनुसार 11केवी लाईनों की तार व उपभोक्ताओं के मीटरों को जाने वाली केबल आदि बदलने से ‘पॉवर लास’ कम होने थे और बिजली सप्लाई में सुधार होना था।
इस प्रोजेक्ट पर कितना काम हुआ और कितना बाकी है, इस बारे में बताने के लिए कोई तैयार नहीं। पॉवरकाम अधिकारियों का प्रतिक्रम है कि वह स्टाफ की कमी से जूझते हुए अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं। वर्णनीय है कि वर्ष 2011 में विधान सभा चुनाव का सियासी लाभ लेने के लिए भटिंडा को कट फरी जोन घोषित किया गया था, किन्तु शहर की बिजली प्रणाली खराब होने के कारण शहरी लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। वैसे कुछ समय पहले शहर की कुछ जगहों पर नए ट्रांसफार्मर व नई तारें डाली गई थी। ओवरलोड चल रहे ट्रांसफार्मर अपग्रेड किए गए थे, किन्तु इस बदलाव से मामूली राहत ही मिल सकी है।
वर्षों से नहीं बदली कई तारें:महेश्वरी | Power Affected
सामाजिक कार्यकर्ता सोनू महेश्वरी ने कहा कि पुराने ढांचे में मामूली नुक्स पड़ने के कारण किसी न किसी मोहल्ले की बिजाई गायब रहती है। कई तारें ऐसे ही, जो बेहद पुरानी हो चुकी हैं और उन्हें वर्षों से बदला नहीं गया है।
आगामी वर्ष में खत्म हो जाएगी समस्या: एक्सईएन | Power Affected
पॉवरकाम के कार्यकारी इंजीनियर गगनदीप सिंगला ने कहा कि 175 नए ट्रांसफार्मर रखे गए हैं और 11 नई लाईनें बिछाई गई हैं, जिससे काफी सुधार आया है। जल्दी ही 170 ट्रांसफार्मर नए रखने व पांच नई लाईनें बिछाने की योजना है। इसके अतिरिक्त बिजली ढांचा तबदील किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि आगामी वर्ष तक गर्मी से पहले यह प्रोजेक्ट मुकम्मल हो जाएगा, जिसके बाद शहर में बिजली की समस्या समाप्त हो जाएगी।
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