भारत लंबे समय से पाक परस्त आतंकवाद से पीड़ित रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वैश्विक मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते रहे हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य वैश्विक मंचों पर इस बात पर विशेष जोर देता रहा है कि पाक जैसे देश जो विश्व शांति के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, उन्हें आतंकी देश की सूची में शामिल किया जाए।
भारत की इस मुहिम को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट आॅन टेरेरिज्म’ में इस बात को स्वीकार किया है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पाक से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं तथा ये आतंकी सगंठन आतंकियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ चंदा भी जुटाते हैं।
अमेरिका द्वारा आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों की सूची में पाकिस्तान 13वां देश बना है। इससे पहले इस सूचि में अफगानिस्तान, सोमालिया, यमन, इराक समेत बारह और देश शामिल है। आतंकवाद परस्त देशों की सूची में पकिस्तान का नाम आने पर उसके ऊपर आतंकी सगठनों पर कार्यवाही करने का दबाव बनना तय है।
गौरतलब है कि भारत में हर आतंकवादी हमलों के पीछे पाक पोषित आतंकवाद का हाथ होता है, जिसके पुख्ता सुबूत भी भारत के पास मौजूद हैं, पर पाकिस्तान इस बात को नकारता रहा है। उरी हमला हो अथवा पठानकोट आतंकी हमला, भारत में हर आतंकी घटनाओं में पाकिस्तान का हाथ होता है और इस बात के सुबूत भारत ने पाकिस्तान को सौंपे भी हैं। लेकिन, अभी तक पाकिस्तान ने उन आतंकियों पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की है ।
यह बात जगजाहिर है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और उसका ज्यादातर इस्तेमाल भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए करता है। भारत, पाकिस्तान को हर वैश्विक मंच से अलग-थलग करने में कूटनीतिक कामयाबी तो हासिल कर रहा है, बावजूद इसके आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान के अड़ियल रवैये में जरा भी परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है।
अब अमेरिका द्वारा आतंक की पनाहगाह देशों की सूचि में पाकिस्तान का नाम होने से उसके रूख में क्या बदलाव आता है, यह देखने वाली बात होगी। किन्तु इस बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकसूत्रीय एजेंडे के तहत जिस प्रकार से आतंकवाद के खिलाफ विश्व को एक मंच पर लाने की कवायद की है उसी का परिणाम है कि अमेरिका ने यह कड़ा कदम उठाया है।
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों के लिए भी पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि भारत ने 2016 से अमेरिका के साथ आतंकवाद रोधी सहयोग को और गहरा बनाया है तथा सूचनाएं भी साझा करने का प्रयास किया है। पाक को हर मंच से अलग-थलग करने की भारत की रणनीति के चलते पाकिस्तान अब बैकफुट पर आ गया है।
आतंक को पनाह देने की बात भारत ने हर मंच से उठाई है और इसके पुख्ता सुबूत भी वैश्विक मंचों पर रखे हैं, जिससे पाकिस्तान की फजीहत हर वैश्विक मंच पर हो रही है। निश्चित रूप से इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए। इस रिपोर्ट में भारत में हो रहे लगातार आतंकी हमलों का विशेष जिक्र करते हुए पाक परस्त आतंकियों तथा नक्सलियों को दोषी बताया गया है।
बहरहाल, यह सवाल आज भी यक्ष प्रश्न की तरह है कि क्या अमेरिका के इस कदम के बाद से पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देना बंद कर देगा? जाहिर है कि पाकिस्तान की आतंक परस्त नीति की आलोचना भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत कई देश समय-समय पर करते रहते हैं, किन्तु पाकिस्तान के ऊपर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए यह बात स्वीकारना कठिन है कि अमेरिका के इस कदम के बाद पाकिस्तानी हुकूमत पर कोई असर दिखेगा।
-आदर्श तिवारी
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