ग्रामीणों की धान, बाजरा और ज्वार की फसलें बर्बाद
- प्रशासन से बार-बार गुहार के बाद भी नहीं समाधान
जुलाना (सच कहूँ न्यूज)।जैसे ही बरसात का मौसम आता है, पौली गाँव के किसानों के माथे पर चिंता की लक ीरें खिंच जाती हैं, क्योंकि पौली-लिजवानां कलां ड्रैन की सफाई नहीं होने से गाँव की अधिकतर भूमि जलमग्न हो जाती है।
गत दिनों हुई बरसात से पौली लिजवानां कलां ड्रैन पौली गाँव के खेतों में ओवरफ्लो हो गई है, जिससे 200 एकड़ से ज्यादा फसल पानी में डूब गई, जबकि यहां पर ग्रामीणों द्वारा धान, ज्वार और बाजरा की बिजाई की हुई थी।
इसके अलावा किसानों ने ईख की खेती भी की हुई थी। जो अब बारिश के पानी से जलमग्न हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि गेहूँ के सीजन में भी उनकी फसल इसी तरह से बर्बाद हो जाती है।
क्योंकि लिजवानां कलां, अकालगढ़ हथवाला आदि गाँवों का ढलान पौली गाँव की तरफ ज्यादा होने के कारण सारा बारिश का पानी उनके गाँव की तरफ बहता है और खेतों में लगभग 3-4 फीट पानी भर जाता है। जिससे ग्रामीणों की फसल बारिश के पानी से बर्बाद हो जाती है, ऐसे में किसानों ने प्रशासन से उनकी समस्या का समाधान किए जाने की गुहार लगाई है।
1992 से बनी हुई है समस्या
गाँव पौली के कुलबीर, दलबीर, रोहिराम, जिले मलिक, सुनील, बिजेन्द्र ने बताया कि उनकी यह समस्या कोई आज या कल की नहीं बल्कि साल 1992 से यह समस्या बनी हुई है। इस बारे में कई बार जिला प्रशासन को अवगत करवाया जा चुका है,
लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है और हर वर्ष उनकी फसल बर्बाद हो रही है। ऐसे में किस प्रकार वे अपना व अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे जबकि उनके पास खेती के अलावा कोई इंकम का साधन नहीं है। इसलिए प्रशासन द्वारा उनकी समस्या पर गंभीरता से संज्ञान लिया जाना चाहिए।
बिजली समस्या ने बढ़ाई परेशानी
ग्रामीणों ने बारिश व ड्रैन के पानी को निकालने के लिए बिजली विभाग से चार दिन के लिए 24 घंटे बिजली छोड़ने की मांग की है। लेकिन इसके बावजूद बिजली केवल 8 घंटे ही छोड़ी जा रही है। जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पौली गाँव के किसानों की 200 एकड़ से ज्यादा फसल जलमग्न है। ड्रैन का पानी निकलवाने के लिए सिंचाई विभाग, बिजली विभाग व जिला प्रशासन को मिल चुके हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। किसानों की मांग है कि खेतों के पानी को जल्द से जल्द निकलवाने का प्रबंध करें।
सुंदर, सरपंच पौली।
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