नई दिल्ली (एजेंसी)। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) को लेकर किसी प्रकार की राजनीति नहीं किये जाने का आग्रह करते हुए कहा है कि इससे महंगाई नहीं बढ़ेगी और लोगों को आसान कर व्यवस्था का फायदा मिलेगा। जेटली ने मंगलवार को यहां एक टेलीविजन चैनल के कार्यक्रम में भाग लेते हुए लोगों की जीएसटी को लेकर उठायी जा रही सभी संकायों को दूर किया। उन्होंने कहा कि नई कर व्यवस्था से देश में 17 प्रकार के कर खत्म हो जायेंगे और सभी राज्यों में समान का एक दाम होगा। आजादी के बाद सबसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप में देखा जा रहा जीएसटी एक जुलाई से लागू हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी को ‘गेम चेंजर’ बताया है। जेटली ने कहा कि जीएसटी सबके योगदान और सहयोग के बाद लागू हो रहा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जीएसटी के लागू होने से महंगाई नहीं बढ़ेगी और देश और लोगों को आसान कर व्यवस्था का लाभ मिलेगा। इसके लागू होने से कच्चे बिल का खेल खत्म हो जाएगा। लघु और मध्यम उद्यमियों, कारोबारियों और मर्चेंट्स सबके लिए कर विवरणी भरना और आंकलन करना आसान होगा। इससे कारोबार मजबूत होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी। नोटबंदी से बैंकिंग तंत्र में कितना पैसा वापस आया, इसके आंकड़े देने में हो रही देरी के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक को नोट गिनने की प्रक्रिया में ज्यादा समय लग रहा है।
कर तय करने का अधिकार
लाखों-करोड़ रुपये के नोट गिनने में काफी समय लगता है। रिजर्व बैंक आधुनिक मशीनों और प्रक्रिया से नोटों की गिनती कर रहा है और जल्दी ही इसके अधिकारी आंकड़ा जारी कर दिया जाएगा। जेटली ने कहा कि नई कर व्यवस्था के लागू होने से अप्रत्यक्ष ही नहीं प्रत्यक्ष कर वसूली पर भी असर पड़ेगा। नई व्यवस्था में सबसे ऊंची दर 28 प्रतिशत कुछ चीजों पर ही कर लगेगी। पुरानी व्यवस्था में 31 से लेकर 33 प्रतिशत तक कर लगता था। जीएसटी परिषद ने वस्तुओं पर कर की क्या दर हो इस संबंध में मिले सुझावों के बाद व्यापक विचार-विमर्श के उपरांत ही एक-एक वस्तु के लिये स्लैब तय किये है।
पूरे देश में दरों पर सहमति बन गई है। सभी राज्यों और केन्द्र ने किस वस्तु पर कितना कर लगाया जाये यह मिलकर तय किया है। उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति क्षेत्र पर जीएसटी का खासा असर होगा। देश में कालेधन के बड़े हिस्सा इसी क्षेत्र में लेन-देन होता है। जीएसटी परिषद इसके लिए अगले साल कोई प्रभावी तरीका निकालने पर काम कर रही है। राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पाद और शराब के कर दरों को छोड़ने से इन्कार किया है जिसकी वजह से जीएसटी में इन पर कोई फैसला न हो पाया है। परिषद के पास आगे चलकर इनकी कर तय करने का अधिकार होगा।
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