दार्जिलिंग: पश्चिम बंगाल में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) प्रमुख विमल गुरुंग के कार्यालय में कल पैरा-मिलिट्री बलों के छापे की कार्रवाई के विरोध में जीजेएम समर्थकों ने आज दूसरे दिन भी सरकारी संपत्तियों को आग लगाने की घटनाओं को अंजाम दिया।
इस बीच कानून एवं व्यवस्था पर नियंत्रण के मद्देनजर केंद्र से भेजे गये 400 और पैरा-मिलिट्री बल के जवान दार्जिलिंग पहुंच गये हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने सात और आईपीएस अधिकारियों को यहां तैनात किया है।
अर्थव्यवस्था के अलावा अलग पहचान का भी सवाल
काफी लंबे समय से चल रहे इस आंदोलन के कुछ ठोस कारण हैं। भौगोलिक दृष्टि से यह इलाका पश्चिम बंगाल की मुख्यधारा से बहुत दूर है और भाषा-संस्कृति का बंगाली तत्व यहां काफी कमजोर है। साफ है कि अलग गोरखालैंड की मांग को महज विकास की आकांक्षा के रूप में नहीं समझा जा सकता। इसके पीछे पर्यटन और चाय की भिन्न अर्थव्यवस्था के अलावा अलग पहचान सवाल का भी है।
विकास के मामले में पश्चिम बंगाल के बाकी हिस्सों का हाल भी ऐसा नहीं है कि गोरखालैंड वाले उसके साथ रहने को लालायित हों। इस पहाड़ी इलाके को विकास के एक अलग मॉडल की भी दरकार है।
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